नई दिल्ली। देश में जीएसटी लागू होने के बाद दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में अर्थव्यवस्था के नतीजों पर सबकी निगाहें टिकी हैं। पहली तिमाही में आर्थिक विकास की दर 5.7 फीसद पर सिमट जाने के बाद अब चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में इसके छह फीसद से ऊपर रहने की उम्मीद है। अर्थशास्त्रियों और आर्थिक विश्लेषक एजेंसियों का अनुमान है कि दूसरी तिमाही की आर्थिक विकास दर छह से 6.3...
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छह फीसद से ऊपर रह सकती है देश की आर्थिक विकास दर
नई दिल्ली। देश में जीएसटी लागू होने के बाद दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में अर्थव्यवस्था के नतीजों पर सबकी निगाहें टिकी हैं। पहली तिमाही में आर्थिक विकास की दर 5.7 फीसद पर सिमट जाने के बाद अब चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में इसके छह फीसद से ऊपर रहने की उम्मीद है। अर्थशास्त्रियों और आर्थिक विश्लेषक एजेंसियों का अनुमान है कि दूसरी तिमाही की आर्थिक विकास दर छह से 6.3...
More »विकास के पैमाने और हकीकत-- राहुल लाल
हाल ही में अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेंटिंग एजेंसी ‘मूडीज' ने एक तरह से भारतीय अर्थव्यवस्था के पक्ष में अपनी राय दी। इसे कसौटी माना जाए तो अब शायद रेटिंग एजेंसियों को नोटबंदी और जीएसटी पसंद आ रहे हैं। इन दोनों कदमों और बैंकों में फंसे कर्ज का बोझ कम करने की सरकारी कवायद के कारण मूडीज ने भारत की रेटिंग बढ़ाई। उसने भारत की रेटिंग में तेरह वर्षों के बाद सुधार...
More »शेल कंपनी कथा दूसरी कड़ी : काले धन के खिलाफ जंग राजधर्म है-- हरिवंश
राजनीति विचारधारा या भावना से चलती है और अर्थनीति शुद्ध स्वार्थ की नीितयों से. पिछले 60-70 वर्षों में एक तरफ राजनीति में भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक जंग की बात भारत में बार-बार हुई, तो दूसरी तरफ भ्रष्ट ताकतों ने आर्थिक नियमों, कंपनी कानूनों को ऐसा बनाया कि भ्रष्टाचार की जड़ें लगातार मजबूत होती गयीं. शेल कंपनियां ऐसे ही कंपनी कानूनों की उपज हैं, पर आश्चर्य यह है कि 60-70 वर्षों...
More »आर्थिक सुधारों की कठिन राह पर-- एन के सिंह
आर्थिक फैसले पूरी स्फूर्ति से लिए जा रहे हैं। भले ही अभी हम नोटबंदी और जीएसटी की बहस में उलझे हुए हों, मगर हाल ही में सरकार ने अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के लिए कई आर्थिक उपायों की घोषणा की है। ये कई लक्ष्यों को हासिल करने के इरादे सेप्रेरित हैं। एक कहावत है कि बुराई को मजबूती तब मिलती है, जब हम कोई फैसला नहीं कर पाते या दूसरों...
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