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रोटी को तरसते लोग, गोदामों में सड़ते अनाज

नई दिल्ली [उमा श्रीराम]। करीब 70 वर्ष पहले चर्चित कवि सुब्रमण्यम भारती ने यह कहकर हलचल मचा दी थी कि यदि दुनिया में एक भी आदमी भूखा है तो इस विश्व को ही नष्ट कर दो। भारती जी ने तभी भारत की आजादी को देख लिया था और उन्होंने आधुनिक भारत, युवा वर्ग व महिलाओं को समर्पित करते हुए कई कविताएं रच डाली थी। पर दुर्भाग्य से वे यह कल्पना भी नहीं कर सके...

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कागजों में पक रहे पोषाहार के दाने

जोधपुर. राज्य सरकार ने भले ही गर्मी की छुट्टियों में ग्रामीण क्षेत्रों की स्कूलों में बच्चों को मिड डे मील योजना के तहत पोषाहार खिलाने का आदेश कर दिया हो, लेकिन हकीकत में बच्चे पोषाहार खाने आ ही नहीं रहे हैं, जबकि शिक्षक कागजों में विद्यार्थियों की 50 से 80 फीसदी उपस्थिति बताकर स्कूलों में खाना बना रहे हैं। अकाल की स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग को सभी सरकारी विद्यालयों में ग्रीष्मावकाश...

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यहां सौर ऊर्जा से पकता है 6 हजार लोगों का भोजन

देहरादून। तीर्थनगरी हरिद्वार स्थित गायत्री पीठ शांतिकुंज में वैकल्पिक ऊर्जा के तहत सौर ऊर्जा से प्रतिदिन छह हजार लोगों का भोजन पकाया जा रहा है जो अपने आप में पूरी दुनिया में अनूठी मिसाल है। शांतिकुंज के व्यवस्थापक गौरीशंकर शर्मा ने बताया कि विश्व में पारंपरिक ऊर्जा के तहत इस्तेमाल किए जाने वाले विभिन्न यंत्रों और उपकरणों के माध्यम से विश्व का तापमान बढ़ रहा है जिसके मद्देनजर इस वैकल्पिक ऊर्जा को लोगों की जरूरतों...

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भुखमरी कैसे खत्म हो - सचिन कुमार जैन

भुखमरी आज के समाज की एक सच्चाई है परन्तु मध्यप्रदेश के सहरिया आदिवासियों के लिये यह सच्चाई एक मिथक से पैदा हुई, जिन्दगी का अंग बनी और आज भी उनके साथ-साथ चलती है भूख. अफसोस इस बात का है कि सरकार अब जी जान से कोशिश में लगी हुई है कि भूखों की संख्या कम हो. वास्तविकता में भले इसके लिये प्रयास न किये जायें लेकिन कागज में तो सरकार...

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धरती कहे पुकार के

ढ़ती हुई कीमतें उस आपदा का सिर्फ एक संकेत हैं, जिससे खेती जूझ रही है. दरअसल भारतीय कृषि क्षेत्र बुरी तरह से चरमरा रहा है. संकट से पार पाने के लिए नजरिए में बड़े बदलावों की जरूरत है. लेकिन कृषि मंत्री शरद पवार आपदा की इस आहट को सुनने के लिए तैयार नहीं. अजित साही और राना अय्यूब की रिपोर्ट सरकारी नीतियों से लेकर अखबार की सुर्खियों तक तरजीह पाने वाली...

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