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हिमाचल में बंदर हिंसक जानवर घोषित, उन्हें मारने की इजाजत

पर्यावरण मंत्रालय ने हिमाचल प्रदेश में रीसस मकाक बंदरों को एक साल के लिए हिंसक जानवर घोषित किया है और इस अवधि में उनकी संख्या नियंत्रित करने के लिए उन्हें मारने की अनुमति होगी। पिछले महीने जारी इस अधिसूचना में कहा गया है कि हिमाचल प्रदेश ने इलाके में जंगल से बाहर इस प्रजाति द्वारा बड़े पैमाने पर कृषि को नष्ट करने समेत जानमाल को भारी नुकसान पहुंचाने की खबर दी...

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हकीकत में नहीं, कागजों में बढ़ रहे हैं जंगल

जंगलों के मामले में पूरे देश में झारखंड का 10वां स्थान आता है. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (एफएसआइ) के आंकड़े भी बताते हैं कि राज्य में जंगल बढ़ रहा है. सेटलाइट सर्वे के माध्यम से किये गये सर्वेक्षण में इसे बढ़ा हुआ बताया जा रहा है, जबकि हकीकत कुछ और बयां करते हैं. वन विभाग के अधिकारियों का इस बारे में अलग-अलग मत है. कई अधिकारियों ने सर्वे के...

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सूखी वनस्पतियों का निस्तारण-- भरत झुनझुनवाला

उत्तराखंड के जंगलों में आग का तांडव जारी है. छिटपुट वर्षा से कुछ दिनों के लिए आग बुझ जाती है, परंतु फिर जंगल जलने लगते हैं. मूल समस्या सूखी पत्तियों एवं टहनियों के निस्तारण की है. पेड़ों की पत्तियां और घास जमीन पर जमा हो जाती हैं. ऊपरी क्षेत्रों में वर्षा होती रहती है या ठंड के कारण ये पदार्थ सूखते नहीं हैं. इनकी मोटी परत जमी रहती है और...

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वो 5 बातें जिनकी वजह से मनाना पड़ रहा है पृथ्‍वी दिवस

22 अप्रैल को दुनिया के 192 देश 46वां विश्व पृथ्वी दिवस मना रहे हैं। लेकिन मात्र एक दिन पृथ्वी दिवस के रूप में मना कर हम प्रकृति को बर्बाद होने से नहीं रोक सकते हैं। जीवन और पर्यावरण एक-दूसरे के पूरक हैं। पर्यावरण के बगैर जीवन असम्भव है। कोई दो राय नहीं कि अगर पृथ्‍वी खतरे में रहेगी तो मनुष्‍य जाति भी खतरे में रहेगी। दुर्भाग्‍यवश पृथ्‍वी का अस्ति‍त्‍व खतरे...

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सिर उठाते दिख रहे हैं दो संकट - राजीव सचान

सहज मार्ग से नाम से प्रचलित आध्यात्मिक संस्था श्रीरामचंद्र मिशन के संस्थापक एवं अध्यक्ष रामचंद्र ने 1966 में प्रकाशित अपनी पुस्तक रियल्टी एट डॉन में भारत के उत्थान और पश्चिम के पराभव का एक खाका खींचा है। उन्होंने लिखा है कि इस पराभव का एक कारण पश्चिम में धरती के गर्भ में सक्रिय होने वाले ऐसे ज्वालामुखी भी बनेंगे जो अभी सुप्त अवस्था में हैं। पता नहीं, वह सब कुछ...

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