अन्ना हजारे और बाबा रामदेव के आंदोलन के बाद देश में वैकल्पिक राजनीति की जरूरत पर नई बहस छिड़ी है। इसका स्वागत होना ही चाहिए, पर राजनीति तो राजतंत्र के जमाने की चीज है। उसकी लोकतंत्र में कोई जगह होनी ही क्यों चाहिए? जब हमने वैकल्पिक राजनीति की बात शुरू की है, तो क्यों न लोकनीति की बात करें? राजनीति का ककहरा सत्ता और अधिकारों की बंदरबांट से शुरू होता...
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राजग की सरकार बनी तो किसानों को बिना ब्याज कृषि कर्ज: गडकरी
भोपाल, 16 जुलाई (एजेंसी)। भाजपा के अध्यक्ष नितिन गडकरी ने वादा किया है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में राजग की सरकार बनी, तो किसानों को बिना ब्याज कृषि कर्ज दिया जाएगा। गडकरी ने रविवार को यहां जंबूरी मैदान पर मध्यप्रदेश भाजपा की आयोजित ‘अटल किसान महापंचायत’ को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश सहित भाजपा शासित राज्य जब किसानों को बिना ब्याज के कृषि कर्ज उपलब्ध करा सकते हैं, तो...
More »बिना बारदाने के भी गेहूं खरीदेगी सरकार
भोपाल.राज्य सरकार अब बिना बारदाने के भी गेहूं खरीदेगी। इसकी शुरुआत सीहोर, होशंगाबाद, हरदा और धार समेत उन जिलों से होगी, जहां गेहूं की आवक ज्यादा है। जरूरत पड़ी तो जिलों की संख्या बढ़ा दी जाएगी। किसानों को एसएमएस कर बुलाया जाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो खरीदी की तारीख 31 मई के बाद भी बढ़ा दी जाएगी। इस संबंध में रेडियो...
More »मोंटेक हटें या बंद हो योजना आयोग : शरद यादव
नयी दिल्ली : शहर में 28.65 और गांवों में 22.42 रुपए से अधिक रोज कमाने वालों को गरीबी रेखा से उपर मानने के योजना आयोग के नए मानदंड की आज विपक्षी के साथ सरकार के सहयोगी दलों ने कड़ी आलोचना की और सदन में इस बाबत वक्तव्य देने की मांग की. गरीबी की नयी परिभाषा पर चर्चा की शुरूआत करते हुए जद (एकी) के शरद यादव ने योजना आयोग के नए मानदंडों को देश...
More »अन्न स्वराज- वंदना शिवा
भोजन का अधिकार जीने के अधिकार से जुड़ा हुआ है और संविधान का अनुच्छेद 21 सभी नागरिकों को जीने का अधिकार प्रदान करता है। इस लिहाज से प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक स्वागतयोग्य है। पिछले दो दशकों में भारत में भूख एक बड़ी समस्या के रूप में उभरी है। 1991 में जब आर्थिक सुधार कार्यक्रम शुरू किए गए थे, तब प्रति व्यक्ति भोजन की खपत 178 किलोग्राम थी, जो 2003 में...
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