आज दुनिया की कई भाषाएं मरने के कगार पर इसलिए खड़ी हैं, क्योंकि वैश्विक दुनिया के मानकों के अनुसार वे लाभकारी नहीं हैं. वैश्वीकरण के मुनाफे की इस प्रवृत्ति ने भाषाओं के बीच जो दूरी पैदा की है, वह पहले कभी नहीं थी. पहले भी भाषाएं मरती रही हैं, लेकिन उसके कारण के रूप में मुनाफे वाली मानसिकता नहीं रही है. भाषाओं का यह संकट सामान्य रूप से भी...
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पर्यावरण संरक्षण : ...महिलाओं ने बचाया मिश्राइनमोढ़ा का जंगल
ती न दशक तक मिश्राइनमोढ़ा के जंगलों की रक्षा करनेवालों ने इसकी सुरक्षा की जिम्मेवारी अब महिलाओं को दे दी है. विभिन्न प्रजाति के लाखों पेड़ों की सुरक्षा महिलाएं बखूबी कर रहे हैं. यह सब हो रहा है बिना वन विभाग की मदद या प्रोत्साहन के. हालांकि, प्रशासन और वन विभाग से सहयोग न मिलने से महिलाएं निराश हैं, लेकिन जंगल बचाने का जज्बा कम नहीं हुआ. वन विभाग...
More »मोदी के बताए मार्ग से गांव की ओर मुड़ने को मजबूर हुए जेटली-- विनोद अग्निहोत्री
अपने पिछले दो बजटों से उलट मोदी सरकार ने तीसरे बजट में सरकारी खजाने का पिटारा गांव और किसान की तरफ खोलते हुए अपनी सूट बूट की सरकार की छवि बदलने की जो कोशिश की है,वह खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर की गई है। बजट भले ही वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बनाया हो, लेकिन इस बजट के लिए विशेष इनपुट खुद प्रधानमंत्री ने अपने वित्त मंत्री को...
More »विकास के नाम पर राज्य की लूट!-- आकार पटेल
दस साल पहले, 2006 में, लता मंगेशकर ने घोषणा की थी कि अगर मुंबई के पेडर रोड पर स्थित उनके भवन के सामने फ्लाइओवर बनेगा, तो वह भारत छोड़ कर चली जायेंगी. पहले उन्होंने कहा कि इससे उनकी आवाज पर असर पड़ेगा, और बाद में तर्क दिया कि अगर सड़क पर खुदाई की गयी, तो कई इमारतों की नींव हिल जायेगी. बहरहाल, वह फ्लाइओवर नहीं बना. इस सप्ताह मुझे भारत में...
More »वंचितों के उत्थान से ही देश का उत्थान-- आकार पटेल
भारतीय जनगणना, 2011 के अनुसार, देश में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोगों की संख्या देश की कुल आबादी में 25 प्रतिशत से ज्यादा हो गयी है. इनमें 16.6 प्रतिशत दलित हैं और 8.6 प्रतिशत आदिवासी हैं. ये दो अन्य संज्ञाएं हैं, जिनके द्वारा इन समुदायों (जिन्हें अंगरेज अनटचेबल और ट्राइबल कहा करते थे) को संबोधित किया जाता है. भारत की एक चौथाई आबादी का अर्थ...
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