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क्या 'आर्थिक क्रांति' हो गयी है?-- रविभूषण

क्या सचमुच 1 जुलाई, 2017 से 'एक नये भारत का निर्माण' हो चुका है- 'आर्थिक भारत का निर्माण'? निश्चित रूप से जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) आजादी के बाद देश की कर-व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव है, क्योंकि 17 कर और 26 उपकर समाप्त हो गये हैं, 36 राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों वाले इस बड़े देश में अब एक कर और एक बाजार है. पर, जीएसटी लागू किये जाने...

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मिल्क डे पर विशेषः कहीं आप दूध के रूप में जहर तो नहीं पी रहे?

आज वर्ल्ड मिल्क डे है. दुनिया के कई देशों में यह दिवस मनाया जा रहा है. दरअसल, दूध को पूर्ण आहार माना गया है. दूध में हर वो तत्व पाया जाता है, जिसकी इनसान को जरूरत होती है. इसलिए संयुक्त राष्ट्र की संस्था फूड एंड एग्रीकल्चर आॅर्गेनाइजेशन ने भी इसके महत्व को समझा और 1 जून, 2001 को विश्व दुग्ध दिवस (वर्ल्ड मिल्क डे) के रूप में मनाने की घोषणा...

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जहां ‘मिस्टर’ से ‘महात्मा’ बने गांधी

जिस समय मोहनदास करमचंद गांधी दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद, नस्लभेद और उपनिवेशवादी शोषण के विरुद्ध सामाजिक आंदोलन चला रहे थे, उसी समयावधि में भारत में एक समाज सुधारक अपना सर्वस्व त्याग कर विदेशी शिक्षा, अस्पृश्यता, असमानता, जातिवाद, अशिक्षा, राजनीतिक पराधीनता, अंधविश्वास, पाखंड आदि के विरुद्ध सामाजिक क्रांति कर रहा था। उनका नाम था- महात्मा मुंशीराम (संन्यास नाम स्वामी श्रद्धानन्द), जो हरिद्वार के निकट कांगड़ी नामक गांव में 1902 में गंगा...

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क्यों न नर्मदा को जीवित इंसान का कानूनी दर्जा दिया जाए : हाईकोर्ट

जबलपुर, नईदुनिया न्यूज। मप्र हाईकोर्ट ने राज्य शासन से पूछा है कि क्यों न नर्मदा नदी को जीवित इंसान का कानूनी दर्जा दिया जाए। इस बारे में राज्य शासन से विधिवत निर्देश लेकर सूचित करने की जिम्मेदारी महाधिवक्ता रवीश चन्द्र अग्रवाल को सौंपी गई है। कोर्ट ने इसके लिए सरकार को 6 हफ्ते का समय दिया है। हाईकोर्ट ने यह निर्देश नर्मदा नदी को जीवित नागरिक जैसा दर्जा देने के...

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यदि हम अपनी नदियों को नहीं बचा पाए तो हमारा बचना संभव नहीं - राजेन्द्र सिंह

मध्य प्रदेश सघन वनों और अद्भुत जल-संरचनाओं की भूमि है। प्रकृति ने यहां प्रचुर जंगल दिए हैं तो नर्मदा जैसी विशाल और अद्भुत नदी भी दी है। यह सदियों-शताब्दियों से अपने निश्छल स्वरूप में न सिर्फ बहती आई है, बल्कि मानव सभ्यता को प्राण भी देती आई है। किंतु मनुष्य ने अपने विकास की दौड़-होड में इसे बुरी तरह विकृत करना शुरू कर दिया है। आज यह नदी उन तमाम...

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