कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामिया की एक साप्ताहिक पत्रिका है - 'रेडियंस"। इसने अपने पहले पन्न्े पर एक लेख छापा, जो कहता है कि 'पहले तुम हमें अपना हिसाब दो।" साफ तौर पर यहां 'तुम" से आशय हिंदुओं से है। हिंदू पर्सनल लॉ देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के हस्तक्षेप के बाद अस्तित्व में आया था। विवाह जीवन भर के लिए पवित्र-बंधन होता था और किसी बीमार या नि:शक्त को...
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कठमुल्ली सोच को तलाक दो!
मानो देश में बहस व विवादों की कमी थी कि ‘तीन तलाक' की अमानवीय प्रथा को लेकर लोग मैदान में उतर अाये हैं! अॉल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड तथा अन्य मुसलिम संगठन व मुल्ला-मौलवी हर तरफ चीख-चिल्ला रहे हैं कि ‘तीन तलाक' शरिया कानून का हिस्सा है अौर हम इससे किसी को खेलने की इजाजत नहीं दे सकते! सब ऐसे बात कर रहे हैं, मानो देश में न कोई...
More »तलाक से आगे जहां और भी है-- नासिरुद्दीन
मैं भारतीय हूं. मैं मुसलमान हूं. मैं भारतीय मुसलमान स्त्री हूं. पिछले कुछ महीनों से मेरी जिंदगी के बारे में खूब बात हो रही है. मेरे जेहन में भी कई सवाल उठते रहे हैं. बात, जिंदगी के बारे में होती और बहस की सुई तलाक-तलाक-तलाक और निजी कानून पर जाकर अटक जाती है. क्या मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा मसला यही है? मेरी जिंदगी, शादी के पहले भी है, शादी...
More »गोलवलकर की किताब के बहाने-- रामचंद्र गुहा
बेंगलुरु किताबों का शहर नहीं है। फिर भी यह मेरा शहर ही है, जहां से करीब 50 साल पहले एक किताब छपी थी, जिसे भारतीय समाज और राजनीति के हर विद्यार्थी को अनिवार्य रूप से पढ़ना चाहिए। यह किताब थी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक एमएस गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स, जिन्होंने संघ को न सिर्फ 30 वर्ष से ज्यादा वक्त तक नेतृत्व दिया, बल्कि आज भी संघ के लिए...
More »मर्दाना पर्सनल लॉ बोर्ड-- नासिरुद्दीन
एक बार फिर ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड सुर्खियों में है. और इतिहास गवाह है कि पर्सनल लॉ बोर्ड के सुर्खियों में आने की ज्यादातर एक ही वजह होती है. वह है, मुसलिम महिलाएं. एक बैठकी में तीन तलाक, भरण पोषण, मर्दों की एक साथ कई शादियां जैसी एकतरफा मर्दाना हकों के खिलाफ पिछले कुछ महीनों में महिलाओं की आवाज तेज हुई है. ये आवाजें सुप्रीम कोर्ट की चौखट...
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