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आरटीआइ के सहारे विस्थापन के खिलाफ जंग- पुष्यमित्र

आरटीआइ के जरिये बदलाव की कई कहानियां हमने देखी सुनी है और उनके जरिये इस अधिकार की ताकत को महसूस किया है. मगर इसके जरिये झारखंड में विस्थापन के खिलाफ जो जंग लड़ी गयी हैं, उसकी कोई मिसाल नहीं है. सदियों से विस्थापन का क्रूरतम शिकार रहे झारखंड के आदिवासियों के लिए आरटीआइ एक नयी ताकत बन कर उभरा है. चाहे अर्सेलर मित्तल के स्टील प्लांट का मसला हो या नगड़ी...

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बढ़ गई हैं बुजुर्गों की आर्थिक मुश्किलें - जयंतीलाल भंडारी

दुनिया में 60 साल की उम्र पार कर चुके बुजुर्गों की संख्या 84.10 करोड़ है, जबकि भारत में ऐसी बुजुर्ग आबादी नौ करोड़ के करीब है। भारत में साल 2015 में यह आबादी 12 करोड़ के आस-पास पहुंचने का अनुमान है। जाहिर है, बुजुर्गों की आबादी तेजी से बढ़ रही है, लेकिन उनके लिए कहीं कुछ नहीं हो रहा। संयुक्त राष्ट्र की बुजुर्गों से संबंधित एक ताजा रिपोर्ट में कहा...

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कहां खो गई गन्ने की मिठास- वी एम सिंह

सभ्य समाज पर मुजफ्फरनगर दंगा एक धब्बा है, जिसमें करीब 44 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। यह राजनीतिक पार्टियों का वोट बैंक एजेंडा तो हो सकता है, परंतु इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों के आपसी भाईचारे को गहरा धक्का लगा है। इस दंगे की लपट में आने से हजारों किसानों को गांवों से पलायन करना पड़ा है। कवाल गांव की घटना तो एक नमूना भर है। प्रदेश...

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लड़ाई को धारदार बनाने के लिए आरटीआइ संगठनों से जुड़िए

आरटीआइ आपको इतनी ताकत देता है कि अकेला आदमी भी घूस को घूंसा मार सकता है. इतना ही नहीं, सरकार को अपनी नीतियों को बदलने के लिए मजबूर भी कर सकता है, अगर वह जनहित और राष्ट्रहित के खिलाफ है, लेकिन एक सवाल बार-बार पूछा जाता कि आरटीआइ एक्टिविस्ट ऐसा करने में कितने सुरक्षित हैं? वे अपनी सुरक्षा के लिए क्या करें? हमलों से बचने के उपाय यह सच है कि अकेले...

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कभी स्वर्ग, आज वीरान!- हरिवंश

वेतन लाखों में हो गये. लेकिन वेतन बढ़ने से वास्तविक उत्पादन या आय पर क्या असर हुआ, इसे जांचने का कोई विश्वसनीय मेकेनिज्म नहीं है. अमेरिका के डेट्रायट शहर में यही हुआ. पेंशन का बोझ बढ़ता गया. रिटायर लोगों की पेंशन, नये नियुक्त लोगों की तनख्वाह से कई गुना अधिक. ऊपर से शहर की सरकार ने बाहर से कर्ज लेना जारी रखा. कर्ज अगर भोग-विलास के लिए लिया जाये, तो दुर्दशा...

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