‘अतुल्य भारत' के भीतर एक वंचित भारत रहता है,दलित और आदिवासी समुदाय इसी वंचित भारत के वासी हैं। क्या इस वंचित भारत का निर्माण राज्यसत्ता के हाथों जीवन के लिए जरुरी बुनियादी सेवा-सामानों से लोगों को बेदखल करके हुआ है? जैसा कि नाम से ही जाहिर है,इंडिया एक्सक्लूजन रिपोर्ट 2013-14 का एक निष्कर्ष यह भी है! (कृपया देखें नीचे दिया गया रिपोर्ट की भूमिका की लिंक) मिसाल के लिए इन...
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दूरसंचार की दूसरी क्रांति- गोपाल विट्ठल
लगभग 75 फीसदी क्षेत्र और 90 फीसदी आबादी तक पैठ जमाकर मोबाइल ने देश के कोने-कोने में अपनी असरदार उपस्थिति दर्ज कराई है। आधुनिकतम तकनीकों, न्यूनतम शुल्क दरों और अनूठे बिजनेस मॉडलों के जरिये भारत ने दुनिया को दिखा दिया है कि जोश, कुशलता और उद्यमिता की बदौलत विश्व स्तर के उद्योग को कुछ ही वर्षों में कैसे खड़ा किया जाता है। देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में पांच...
More »किसानों के लिए आनेवाले दिन बहुत भारी- देविंदर शर्मा
भारतीय मॉनसून के लिए अल नीनो, एक विलेन की तरह माना जाता है. अल नीनो की मार से ऑस्ट्रेलिया और भारत सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. अल नीनो से सामान्य मॉनसून की हालत बिगड़ने का अंदेशा है, जिससे बारिश कम होने की आशंका जतायी जा रही है. देश के मौसम विभाग ने इस वर्ष अल नीनो के आने की 70 फीसदी तक उम्मीद जतायी है. दरअसल, मॉनसून के सबसे बीचवाले...
More »निर्मल गंगा का सपना- केपी सिंह
जनसत्ता 25 जून, 2014 :गंगा को निर्मल बनाने का अभियान नई सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है। सरकार की प्रतिबद्धता इसी बात से आंकी जा सकती है कि इस संबंध में प्रारंभिक बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। काम बहुत मुश्किल है, पर असंभव नहीं। गंगा हिमालय से निकल कर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से बहते हुए बंगाल की खाड़ी में जाकर समुद्र...
More »मोटे अनाज की खेती से बहुरे किसानों के दिन
किसानों के लिए वह स्थिति और भी कष्टदायी होती है, जब मॉनसून फेल हो जाने या कम वर्षा होने के कारण वह सही तरीके से धान की फसल की बुआई नहीं कर पाते हैं. कृषि वैज्ञानिक किसानों को हमेशा यह सलाह देते हैं कि ऐसी स्थिति में उन्हें खेती के दूसरे विकल्प को अपनाने के लिए तैयार रहना चाहिए. खेती के लिए फसल के दूसरे विकल्पों में मक्का तथा मडुवा के...
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