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जलवायु परिवर्तन पर सहमति संभव नहीं : भारत

 दावोस (स्विटजरलैंड ) :  जलवायु परिवर्तन की बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले शीर्ष अधिकारी श्याम शरण ने कहा है कि इस मुद्दे पर दुनिया के देशों के बीच आम सहमति बन पाना संभव नहीं है. श्री शरण ने यहां व्यापार एवं नीतियों को लेकर हो रहे सम्मेलन में कहा कि यदि आर्थिक मंदी का दौर जारी रहता है या फ़िर आने वाले वषाब में स्थिति और खराब हुयी तो फ़िर ऐसी स्थिति में...

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शिक्षा के मंदिर में कमाई की दुकान

नई दिल्ली [हिमांशु शेखर]। देश के ज्यादातर हिस्सों में नर्सरी में दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अपने बच्चे के दाखिला के लिए अभिभावक स्कूल-दर-स्कूल भटक रहे हैं। अभिभावक हर हाल में अपने बच्चों को किसी न किसी अच्छे स्कूल में देखना चाहते हैं। यही वजह है कि वे अपने बच्चों के दाखिले के लिए कई-कई स्कूलों में आवेदन कर रहे हैं। अभिभावकों की इसी मजबूरी का फायदा उठाने के लिए निजी स्कूलों ने...

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जंगल कटे तो अदने कर्मियों की कटेगी जेब

भोपाल। वन माफिया या अन्य व्यक्तियों द्वारा अवैध कटाई अथवा उत्खनन से जंगल को होने वाले नुकसान की भरपाई वन महकमा अपने निचले स्तर के कर्मचारियों से हर्जाना वसूल कर करने की तैयारी कर रहा है। यह प्रस्ताव अमल में आया तो पांच से सात हजार रुपया मासिक वेतन पाने वाले बीट गार्ड और नाकेदार जैसे छोटे कर्मचारियों को अपनी तनख्वाह से अधिक राशि का हर्जाना भुगतना पड़ सकता है। बहुत कम वेतन पर...

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भेंटवार्ता जोन पी मेंशे से- वकार अहमद सईद

नृत्त्वशास्त्र की अध्येता जॉन पी मेंशे से की गई यह भेटवार्ता फ्रंटलाइन से साभार ली गई है।   प्रोफेसर जोन पी मेंशे नृत्तत्वशास्त्र की अध्येता हैं। उन्होंने बरसों तक सिटी यूनिवर्सिटी ऑव न्यूयार्क के ग्रेजुएट सेंटर और इसी यूनिवर्सिटी के लेहमान कॉलेज में अपने विषय का अध्यापन किया है। प्रोफेसर मोंशे सेकेंड चांस फाऊंडेशन नामक एक नॉट फॉर प्राफिट संस्था की अध्यक्ष भी हैं। यह संस्था भारत और संयुक्त राज्य...

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ग्रामीण भारत में गरीबों की तादाद आधिकारिक आकलन से ज्यादा

यह बात अब आधिकारिक सूचना में आ चुकी है कि भारत में गरीबी पहले के अनुमानों से कहीं ज्यादा है। इस माह की 9 तारीख को सौंपी गई सुरेश तेंदुलकर समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में गरीबी 37 फीसदी(2004-05) है ना कि 28 फीसदी, जैसा कि पहले के आकलनों में माना जाता रहा है।यदि तेंदुलकर समिति के आकलन में खाद्य पदार्थों की कीमतों में हुई मौजूदा बढ़ोतरी को जोड़ दें...

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