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कर्नाटक के नए पशुवध कानून से आती रोज़गार में कमी

-इंडियास्पेंड, तमाम परेशानियों के बावजूद शाहिद कुरैशी की सुरमा लगी आंखों में उम्मीदों के कुछ निशान अभी बाकी थे। यह जानते हुए भी कि वह अब कभी अपने पुराने काम पर नहीं लौट पाएंगे। पूर्वी बेंगलुरु के टेनरी रोड के बूचड़खाने में दशकों से उनके हाथ मांस के इस मुश्किल और मेहनत से भरे काम को अंजाम देते आ रहे थे। काम करते-करते उनकी हथेलियां सख्त और खुरदरी हो गईं हैं। ये...

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बजट 2022-23: क्या सार्वजनिक निवेश पर आधारित विकास रणनीति वांछनीय और विश्वसनीय है?

-आइडियाज फॉर इंडिया, सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में सार्वजनिक निवेश को बढ़ाने की इच्छा रखते हुए वर्ष 2022-23 के बजट में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। इस संदर्भ में, आर. नागराज भारत के वर्तमान नीति अभिविन्यास और उद्योग एवं बुनियादी अवसरंचना में हाल में किये गए निवेश के परिणामों की जांच करते हैं। वे तर्क देते हैं कि उद्योग पर...

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बजट 2022-23: पूंजीगत लाभ कर, और परिसंपत्ति-मूल्य

-आइडियाज फॉर इंडिया, परिसंपत्ति-मूल्य स्थिरता को सुनिश्चित कराने की आवश्यकता होते हुए भी, वर्ष 2022-23 के बजट में इक्विटी निवेश पर पूंजीगत लाभ कर में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। इस लेख के ज़रिये, गुरबचन सिंह संपत्ति-मूल्य स्थिरता बनाए रखने में एक नीति के रूप में कर की कल्पना की जांच करते हैं, कैसे पूंजीगत लाभ कर इस संदर्भ में बाधाएं पैदा करता है, और कर कानूनों में राजस्व-तटस्थ परिवर्तन कैसे...

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आधार को वोटर आईडी से जोड़ना क्यों है खतरनाक?

-न्यूजलॉन्ड्री, वोटर आईडी कार्ड को आधार से लिंक करने वाला चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 विपक्ष के विरोध के बावजूद 21 दिसंबर को राज्य सभा से भी पास हो गया. ये विधेयक एक दिन पहले ही लोकसभा से पास हुआ था. विधेयक को स्थाई समिति के पास भेजने की मांग को ठुकरा दिया गया. चुनाव कानून (संशोधन) बिल, 2021 में वोटर आईडी कार्ड को आधार संख्या से लिंक किए जाने का...

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समावेशी कृषि हो 2022 के लिए विकास का रोडमैप

-रूरल वॉइस, अब देश के नीति निर्माताओं को अभी की जरूरत, वर्तमान संकट का उपाय जैसे शब्दों को नकार कर देश की समस्याओं के लिए स्थायी समाधान तलाशने होंगे। भ्रष्टाचार, निरक्षरता, शिक्षा व्यवस्था, स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली, गरीबी, जलवायु परिवर्तन, घटता भूजल स्तर, वायु प्रदूषण, ठोस अवशेष, महिला सशक्तीकरण, बेरोजगारी, कृषि संकट, बाढ़, सुखाड़, लंबित न्याय, सकल घरेलू उत्पाद आदि मुद्दे आज देश के सामने हैं जिनको प्राथमिकता के आधार पर हल...

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