-जनपथ, उसे हर उस चीज का बादशाह माना जाता था जिस पर उसकी नज़र जाती थी. सो उस सर्वशक्तिमान बादशाह केन्यूट [994-1035] ने उमड़ती आ रही लहरों को हुक्म दिया कि वे पीछे लौट जाएं और उसके राजसी चरणों और लिबास को गीला न करें. लेकिन बादशाह की दैविक शक्ति के बावजूद समुद्र की लहरों ने उसका हुक्म नहीं माना. मारे शर्मिंदगी के बादशाह के दरबारियों के सर झुके के झुके...
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दलित बच्चों पर कहर बन रहा है फूलों की खेती का जहर: रिपोर्ट में खुलासा
-न्यूजलॉन्ड्री, भारत में एक तरफ छोटे किसान बेहतर आमदनी के लिए भले ही निर्यात होने वाले फूलों की खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं लेकिन दूसरी तरफ इसकी बड़ी कीमत मासूम बच्चों को चुकानी पड़ रही है. तमिलनाडु के तिरुवल्लूर जिले में बड़े पैमाने पर चमेली की खेती की जाती है, जिसमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों का उल्लंघन करते हुए प्रतिबंधित जहरीले रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है. चौंकाने वाला...
More »डाउन टू अर्थ तफ्तीश: अंधेरे में तीर मारने जैसी है किसानों की आय में वृद्धि की कवायद
-डाउन टू अर्थ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की है कि देश की आजादी के 75 साल पूरे होने पर किसानों की आय दोगुनी हो जाए। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अलग-अलग स्तर पर योजनाएं चल रही हैं। इनमें से एक बड़ी योजना हर जिले में दो "डबलिंग फार्मर्स इनकम विलेज " बनाना, ताकि इन गांवों से सीख लेते हुए जिले के सभी गांवों के किसानों की आमदनी दोगुनी...
More »गोबर बढ़ा रहा है किसानों की आमदनी, मज़ाक नहीं है
-गांव कनेक्शन, आमतौर पर लोग गोबर को बेकार की चीज समझते हैं, शहरी भारत के लिए गोबर शिट से कम नहीं है। यहां तक की दूसरों को दिमागी कमजोर बताने के लिए लोग आसानी से कह देते हैं, तुम्हारे दिमाग में गोबर भरा है? या फिर गोबर गनेश कहने से भी नहीं चूकते। ग्रामीण इलाकों की बात करें तो कुछ किसान इसे खाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं। बहुत सारी...
More »मजबूर मजदूरः कुलीनों का नैतिक अर्थशास्त्र और प्रवासी
-इंडिया टूडे, ''अनिवार्य गतिविधियों को छोड़कर बाकी व्यक्तियों के लिए आवाजाही शाम 7 बजे से सुबह 7 बजे तक ‘कठोरता से प्रतिबंधित’ रहेगी...’’ —गृह मंत्रालय का परिपत्र, इंडिया टुडे (17 मई) की रिपोर्ट के अनुसार परिपत्र ने 'सवारी वाहनों और बसों के अंतर-राज्यीय आवागमन की अनुमति देकर प्रवासी मजदूरों को राहत’ प्रदान की (यदि दो पड़ोसी राज्य इसके लिए राजी हों). लेकिन राजमार्गों पर पैदल चलते जा रहे लाखों लोगों के बारे में...
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