मोंगाबे हिंदी , 13 मार्च छत्तीसगढ़ के धमतरी के रहने वाले महेश चंद्राकर की गाय पिछले कई सप्ताह से बुखार से तप रही थी। उसका खाना-पीना कम हो गया था और वह बेहद कमज़ोर हो गई थी। दवाइयां असर नहीं कर रही थीं। स्थानीय पशु चिकित्सक ने ख़ून का नमूना लिया और शाम को रिपोर्ट आई कि गाय के खून में हिमोग्लोबिन की मात्रा काफी कम है। महेश बताते हैं कि वे...
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पोषक अनाजों की खेती:- वर्तमान और भविष्य
पोषक अनाजों की अहमियत को समझते हुए भारत सरकार ने खाद्य और कृषि संगठन के सामने एक प्रस्ताव रखा था। नतीजन पूरी दुनिया, वर्ष 2023 को, अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में मना रही है।भारत,दुनिया में पोषक अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादनकर्ता है। साल 2020 में विश्व के कुल उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी करीब 41 फीसदी के आस–पास थी। पढ़िए इस लेख में पोषक अनाजों पर विस्तार से; प्राचीन...
More »जलवायु परिवर्तन का पहला शिकार हो रहे हैं किसान
डाउन टू अर्थ, 28 फरवरी अब यह बात किसी से छिपी नहीं है कि चरम अथवा अप्रत्याशित मौसमी घटनाओं से किसानों की आय को नुकसान पहुंचता है। जलवायु परिवर्तन से होने वाली इस आर्थिक क्षति को व्यापक स्वीकार्यता मिल चुकी है। किसान ही जलवायु परिवर्तन को सबसे पहले महसूस करता है जो अंतत: समग्र किसी उत्पादन को प्रभावित करता है और खाद्य मुद्रास्फीति को बढ़ाने में योगदान देता है। खाद्य पदार्थों की...
More »खाद्यान्न की कमी नहीं बल्कि पूंजीवादी मुनाफा है बढ़ती भुखमरी का कारण
जनचौक, 26 दिसंबर प्रकृति की गोद में आदि मानव के रूप में अपना जीवन शुरू कर आधुनिक इंसान ने अथाह प्रगति कर ली है। प्रकृति से संघर्ष की प्रक्रिया में संसाधनों को अपने जीवन को सुरक्षित करने के लिए उपयोग करने में महारत हासिल कर ली है। एक समय था जब इंसान का अधिकतर समय भोजन की खोज में गुजरता था। कृषि की खोज के साथ भोजन के लिए संघर्ष कुछ...
More »टीबी कब हारेगा और देश कब जीतेगा ? क्या वर्ष 2030 तक पूरी दुनिया से टीबी रोग का खात्मा हो जाएगा ?
सन् 1962 की बात है। भारत के सैनिक सीमा पर चीनी घुसपैठियों से लड़ रहे थे। तभी एक और जंग देश के भीतर शुरू की गई। यह लड़ाई तपेदिक या टीबी रोग के खिलाफ थीं। चीन से छिड़ी जंग एक महीने के समय अंतराल में अपने अंजाम पर पहुंच गई। पर देश के भीतर टीबी के खिलाफ छेड़ी गई जंग तक़रीबन 60 वर्षों के बाद भी जारी है। आज भी भारत...
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