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बूंद-बूंद पानी के लिए रातभर जागती हैं महिलाएं

-इंडिया वाटर पोर्टल, भारत का जल संकट किसी से छिपा नहीं है। हर साल गर्मियों के दौरान जल संकट का भयानक रूप सामने आता है। इस बार ऐसे समय में जल संकट गहराने लगा है, जब भारत सहित पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी से लड़ रही है। किसी इलाके में दो दिन में एक बार पानी की सप्लाई की जा रही है, तो कुछ इलाकों में दिन में एक बार ही नलों...

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कोरोना लॉकडाउन: राहत शिविरों में रहने के बजाय पैदल ही निकले मज़दूर

-बीबीसी, छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन के महीने भर बाद अब दूसरे राज्यों के मज़दूरों को राहत शिविरों में रखे जाने के बजाय उन्हें पैदल उनके घरों की ओर रवाना किया जा रहा है. हर दिन बड़ी संख्या में मज़दूर ओडिशा और महाराष्ट्र की सीमा से छत्तीसगढ़ में दाख़िल हो रहे हैं और पैदल ही अपने राज्यों के लिये रवाना हो रहे हैं. राहत शिविरों में रहने वाले मज़दूर भी अब अपने राज्यों की...

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रेड जोन भोपाल में कोरोना पॉजिटिव निकली आशा की सुरक्षा को किया गया नजरअंदाज, अब बढ़ी दस लाख आशा कार्यकर्ताओं की चिंता

-गांव कनेक्शन,  उन्नीस अप्रैल को सुबह 11 बजे उसे एक फोन आया कि आपकी रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है। पॉजिटिव रिपोर्ट ... पर मुझे तो सर्दी, खांसी, जुखाम, बुखार कुछ भी तो नहीं है। आपने 17 अप्रैल को जो कोविड-19 की जांच कराई थी उसमें आपकी रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है। आप तैयार रहिये, गाड़ी आपको लेने घर आ रही है। पर मुझे तो कुछ हुआ ही नहीं है ... नसरीन (बदला हुआ नाम) के इतना...

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कभी घर-घर सर्वे, कभी थोड़ी जासूसी, कभी ढोलक की थाप: कौन हैं ये गुमनाम "कोरोना वॉरियर्स", महामारी से लड़ती हुई ये दस लाख की पैदल सेना ?

-गांव कनेक्शन,  खबर पक्की थी। फोन गुपचुप आया था, "दीदी हमारे पड़ोस में बंबई से आये हैं।" उत्तर प्रदेश के अटेसुआ गाँव में शहर से वापस आये मजदूरों को कायदे से 14 दिन के लिए क्वारंटाइन होना था, लेकिन ग्राम प्रधान ने उनके तुरंत आने पर ऐसा नहीं करवाया था। गाँव की आशा कार्यकर्ता कुसुम सिंह (48) को पता था कि अगर प्रधान पर उन्होंने सीधे ऊँगली उठाई तो उनका विरोध...

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लॉकडाउन में फंसे मधुमक्खी पालक, भूख और गर्मी से मर रहीं हैं मधुमक्खियां

-गांव कनेक्शन, कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन से हम और आप ही नहीं मधुमक्खियां भी अपने घरों (बॉक्स) में कैद होकर रह गई हैं। ज्यादातर मधुमक्खियों के लिए ये माइग्रेशन (एक जगह से दूसरी जगह जाने) का टाइम था। जिसके चलते करोड़ों मधुमक्खियां मरने के कगार पर पहुंच गई हैं। अगर ये मधुमक्खियां सही समय पर अपने अनुकूल भोजन और जलवायु इलाके में न पहुंची तो तो न सिर्फ भारत में...

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