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आजादी के 75 साल: खत्म नहीं हो रही भारत में गरीबी

DW हिंदी, 12 अगस्त गरीबी से परेशान होकर मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के रहने वाले खुमान अहीरवार 2014 में दिल्ली चले आए थे. दिल्ली आने के बाद उन्होंने पहले तो चौकीदारी का काम किया फिर निर्माण क्षेत्र में मजदूरी करने लगे. कोरोना लॉकडाउन के दौरान वह अन्य श्रमिकों की तरह गांव वापस चले गए और लॉकडाउन खत्म होने के बाद दोबारा दिल्ली लौटे. दिल्ली लौटने के बाद उन्हें काम नहीं मिला,...

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ओडिशा: समलेश्वरी मंदिर पुनर्विकास योजना के चलते 200 दलित परिवार बेघर होने की कगार पर

द वायर, 24 जुलाई  ओडिशा सरकार संबलपुर के समलेश्वरी मंदिर के सौंदर्यीकरण और पुनर्विकास की योजना पर काम कर रही है, जिसके चलते पास की बस्ती में बरसों से झुग्गियां बनाकर रह रहे क़रीब 200 दलित परिवार प्रभावित होंगे. सामाजिक कार्यकर्ताओं के अनुसार, कम से कम सौ घरों को पहले ही ध्वस्त कर दिया गया है. अन्य परिवारों ने अपने घरों को बचाने के लिए ओडिशा हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है.पश्चिमी...

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असम: जिस ओर नजर सिर्फ पानी ही पानी, जान माल की भारी क्षति

न्यूज़लॉन्ड्री, 19 जुलाई असम में नेशनल हाईवे 31 के किनारे जिस ओर नजर जाती है, पानी ही पानी दिखता है. यहां कुछ दिन पहले तक धान की लहलहाती फसल दिखती थी. इसी हाईवे पर 43 वर्षीय रहीसुद्दीन अपनी पत्नी और पांच बच्चों के साथ मदद का इंतजार कर रहे हैं. राज्य में नगांव जिले के राहा अनुमंडल के काकोटी गांव निवासी रहीसुद्दीन अपने गांव वापस जाने के लिए किसी नाव की...

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जेंडर

खास बात   साल 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल श्रमशक्ति की तादाद 40 करोड़ है जिसमें 68.37 फीसद पुरुष और 31.63 फीसद महिला कामगार हैं। @ तकरीबन 75.38%  फीसद महिला श्रमशक्ति खेती में लगी है। @ एफएओ के आकलन के मुताबिक विश्वस्तर पर होने वाले कुल खाद्यान्न उत्पादन का 50 फीसद महिलायें उपजाती हैं। # साल 1991 की जनगणना के अनुसार 1981 से 1991 तक पुरुष खेतिहरों की संख्या में 11.67 फीसदी की बढोतरी...

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यूपी चुनाव 2022: प्रदेश में लाखों कुपोषित बच्चे, फिर भी 66% पोषण निधि नहीं हुई खर्च

-गांव कनेक्शन,  सर्द सुबह में, नन्ही रुसुदा प्लास्टिक की चादरों, सीमेंट की बोरियों और गूदड़ों से बनी अपनी झोंपड़ी में इस उम्मीद में भागी कि उसकी मां के पास खाने के लिए कुछ होगा। अंदर उसकी मां सन्नो के पास अपनी ढाई साल की बेटी को खिलाने के लिए कुछ नहीं था। वह बर्तनों से चिपका खाना खुरच कर निकालने लगी। खाने के लिए पिछली रात की थोड़ी सी बची हुई...

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