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कोविड-19: मानसिक स्वास्थ्य को ले कर वैश्विक चिंता के बीच भारत के हालात?

-डाउन टू अर्थ, हाल ही में लैंसेंट साइकियाट्री जर्नल में मानसिक स्वास्थ्य को ले कर एक रिपोर्ट छपी है. यूनिवर्सिटी के साइकियाट्री डिपार्टमेंट के हेड प्रोफेसर इड बुलमोर और उनकी टीम ने इंग्लैंड में कोविड-19 संक्रमण के बीच आयोजित एक सर्वे के आधार पर इस रिपोर्ट को तैयार किया है। बुलमोर कहते हैं कि सबसे महत्वपूर्ण निष्कर्ष यही है कि अभी और भविष्य में भी कोरोना महामारी का मानसिक स्वास्थ्य पर...

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जब सोच बदलेगी तो खिलेंगी बेटियां-- रमा गौतम

हमारा समाज बेशक आज मार्डन हो गया है। समाज के लोग यही कहते है कि हमने आज तक बच्चों में कोई फर्क नहीं किया और हमारे लिए तो बेटा-बेटी एक समान हैं। मगर, वास्तविकता कुछ और ही होती है। लड़कों के मामले में हम बहुत खुले विचार रखते हैं। मगर, लड़की की बात आते ही कहीं न कहीं हमारी सोच थोड़ी सिकुड़ जाती है, इसी के चलते सृष्टि को आगे...

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लैंगिक भेदभाव से मर जाती हैं सालाना सवा दो लाख से ज्यादा बेटियां- नई रिपोर्ट

बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ के नारे वाले भारत में अनुमान लगाइए कि सिर्फ लैंगिक भेदभाव के कारण सालाना कितनी बच्चियों की जान जाती है ? सिर्फ लड़की होने के कारण जिनसे बड़े चुप्पे ढंग से जिंदगी छीन ली जाती है उनकी तादाद हजार-दस हजार तक सीमित नहीं बल्कि ये आंकड़ा आगे बढ़कर लाखों तक पहुंचता है. प्रतिष्ठित जर्नल लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक भारत में हर साल लैंगिक भेदभाव के कारण...

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पांच साल में 40 फीसदी बढ़ गई है मोटे लोगों की संख्या

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मोटे लोगों की संख्या पिछले पांच साल में 40 फीसदी बढ़ गई। हरेक छह में से एक महिला और हरेक पांच में से एक पुरुष मोटापे का शिकार है। वर्ष 2011 में कुल मोटापे का आंकड़ा 22.8 फीसदी था। वर्ष 2015-16 में सामान्य से अधिक वजन की समस्या वाले लोग 39.4 प्रतिशत हो गए। यह समस्या आरामतलब जिंदगी की देन है। नेशनल डायबिटिक एंड कोलेस्ट्रॉल रिसर्च...

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भारत में विकसित नयी वैक्सीन की दुनियाभर में सराहना..

रोटावायरस डायरिया भारत सहित कई देशों में नवजात शिशुओं और बच्चों की मौत का एक प्रमुख कारण है. भारत में हर साल करीब नौ लाख बच्चों को इसके कारण अस्पतालों में भर्ती करना पड़ता है, जिनमें से 80 हजार से एक लाख बच्चों की मृत्यु हो जाती है. लेकिन, इससे बचाव की विदेशी दवाएं इतनी महंगी थीं कि हर किसी के लिए उसका सेवन करना आसान न था....

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