SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 22

आर्थिक माहौल को लेकर फिक्रमंद - संजय गुप्‍त

पांच सौ व एक हजार के नोटों का चलन बंद करने की घोषणा के बाद केंद्र सरकार के साथ ही तमाम विशेषज्ञों का अनुमान था कि करीब तीन-चार लाख करोड़ रुपए की राशि काले धन के रूप में होने के कारण बैंकिंग व्यवस्था में लौटकर नहीं आएगी। अब जब पुराने नोट बैंकों में जमा कराने की अवधि बीतने में महज पांच दिन शेष रह गए हैं, तब जितनी राशि के...

More »

कैशलेस अर्थव्यवस्था की मरीचिका--- पी चिदंबरम

जब-तब कोई नया शब्द या पद बातचीत में चल पड़ता है। आठ नवंबर 2016 को विमुद्रीकरण शब्द का चलन शुरू हुआ। ऐसा चित्रित किया गया जैसे जंगी घोड़े पर सवार कोई सेनापति काला धन, भ्रष्टाचार और नकली मुद्रा रूपी राक्षसों का वध करने निकला है।छह हफ्तों बाद भी काले धन के दैत्य का कुछ नहीं बिगड़ा है। टैक्स चोरी करने वाले नोटबंदी से अविचलित जान पड़ते हैं; वे नए नोटों...

More »

दिल्ली: मजदूर को कंपनी निदेशक बताकर किया काले धन को सफेद

बैंक प्रबंधकों एवं हवाला कारोबारियों की मदद से काले धन को सफेद करने के गोरखधंधे में दिहाड़ीदार मजदूरों को कंपनियों का निदेशक बना दिया गया। हवाला कारोबारियों ने ऐक्सिस बैंक में खाता खुलवाने के लिए ऐसी ही मुखौटा कंपनियों का सहारा लिया। खास बात है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जब इन मजदूरों से संपर्क किया तो उन्होंने खुद के किसी भी ऐसी कंपनी का निदेशक होने बाबत अनभिज्ञता जताई।...

More »

नोटबंदी के सामयिक सबक-- पवन के वर्मा

आठ नवंबर को 500 तथा 1000 रुपये के नोटों का चलन रातोंरात रोकने की घोषणा नीयत तथा क्रियान्वयन के पारस्परिक संबंध का मौलिक मुद्दा उजागर करती है. क्या किसी क्रिया के पीछे की सराहनीय मंशा उसके नकारा क्रियान्वयन को माफ कर देने की वाजिब वजह हो सकती है? अथवा, क्या क्रियान्वयन की खामियां उस मंशा का मूल्य ही कम कर देती हैं? विचार तथा क्रिया के बीच का यही द्वंद्व...

More »

कितना हमला, कितना जुमला!-- अनिल रघुराज

सड़क से संसद तक फैली अशांति के बीच केंद्र सरकार की गति सांप और छछुंदर जैसी हो गयी है. न उगलते बन रहा है और न निगलते. एक मुश्किल सुलझाने निकले तो बड़ी मुसीबत गले पड़ गयी. दरअसल, पिछले महीने दीवाली के चंद दिन पहले ही केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने आंकड़ा जारी किया कि देश की 129.5 करोड़ की आबादी में से मात्र 3.65 करोड़ या 2.8 प्रतिशत लोग...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close