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दिल्ली के कई इलाकों में अवैध रूप से चल रही हैं रंगाई फैक्ट्रियां

डाउन टू अर्थ, 24 मई सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त निगरानी समिति संबंधित अधिकारियों के साथ मिलकर बिंदापुर, मटियाला, रणहोला, ख्याला, मीठापुर, बदरपुर, मुकुंदपुर और किरारी में अवैध रूप से चल रही रंगाई फैक्ट्रियों की जांच करेगी। इस मामले में आवेदक वरुण गुलाटी ने कोर्ट के समक्ष आवेदन दायर किया था। इसे ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति से कहा है कि वरुण गुलाटी...

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एनएमएमएस ऐप और आधार-आधारित भुगतान प्रणाली से मनरेगा श्रमिकों के भुगतान में देरी: रिपोर्ट

द वायर, 14 मई  किसी देश को डिजिटल रूप से बदलने की इच्छा के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे की जरूरत होती है. हालांकि, भारत में ऐसा होता प्रतीत नहीं हो रहा है, विशेष तौर पर ग्रामीण इलाकों में, क्योंकि कई मनरेगा श्रमिकों ने अपनी मासिक मजदूरी मिलने में देरी होने की सूचना दी है. जहां केंद्र सरकार डिजिटल अर्थव्यवस्था पर जोर दे रही है, वहीं पर्याप्त बैंकिंग बुनियादी ढांचे की कमी और...

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साल 2022 में दुनियाभर में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की संख्या रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंची

द वायर, 15 मई एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार, 2022 के अंत तक दुनियाभर में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों (इंटरनली डिस्प्लेस्ड पीपल- आईडीपी) की संख्या 71.1 मिलियन (7 करोड़ से अधिक) के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई, जो 2021 की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक है. आंतरिक विस्थापन निगरानी केंद्र (Internal Displacement Monitoring Centre- आईएमडीसी) और नॉर्वेन रिफ्यूजी काउंसिल (एनआरसी) की 76 पृष्ठीय रिपोर्ट में कहा गया है कि भू-राजनीतिक संकट,...

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असामान्य रूप से लंबे ला नीना ने 2022 में रिकॉर्ड संख्या में लोगों को विस्थापित किया

डाउन टू अर्थ, 11 मई आपदाओं के कारण 2021 की तुलना में 2022 में विस्थापित लोगों की संख्या में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई। आंतरिक विस्थापन निगरानी केंद्र की प्रमुख वार्षिक रिपोर्ट आंतरिक विस्थापन 2023 पर वैश्विक रिपोर्ट (जीआरआईडी-2023) 11 मई को प्रकाशित हुई, जिसमें कहा गया है कि 3.26 करोड़ लोग आपदाओं के कारण विस्थापित हुए थे। आपदा के कारण 98 प्रतिशत विस्थापन की वजह बाढ़ और तूफान जैसी मौसम संबंधी...

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'डिजिटल सर्विलांस' के मसले पर हिंदुस्तानी मीडिया का रुख क्या है?

टाइम्स ऑफ इंडिया और दैनिक जागरण की खबरों में दिखा सर्विलांस के प्रति समर्थन!   पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने ‘निजता के अधिकार’ को मौलिक अधिकारों की श्रेणी में रखा है। लेकिन, आए दिन ये खबरें आती रहती हैं कि आज सरकार की ओर से या सरकार की किसी ‘खास एजेंसी’ की ओर से राष्ट्रहित में या व्यापक जनहित में फ़लाँ व्यक्ति पर या किसी संस्था पर सर्विलांस किया गया! मीडिया...

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