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यमुना का यह हाल क्यों है-- पंकज चतुर्वेदी

पिछले एक सप्ताह से दिल्ली के अतिविशिष्ट इलाके लुटियन जोन के नल रीते थे, कारण हरियाणा से दिल्ली में प्रवेश कर रही यमुना इतनी जहरीली हो गई थी कि वजीराबाद व चंद्रावल के जल परिशोधन संयंत्र की ताकत उन्हें साफ कर पीने लायक बनाने के काबिल नहीं रह गई थी। वैसे तों दिल्ली भी यमुना को ‘रिवर' से ‘सीवर' बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ती, लेकिन इस बार हरियाणा के...

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पूरे देश से जुटे आदिवासी, वक्ताओं ने कहा- आदिवासियों की अनदेखी न करे सरकार

भोगनाडीह. सिदो-कान्हू की प्रतिमा के अपमान के विरोध में पूरे देश से जुटे आदिवासी, वक्ताओं ने कहा  बरहरवा : वीर शहीद सिदो-कान्हू के जन्मस्थली भोगनाडीह में लौ वीर वैसी कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में विभिन्न आदिवासी संगठनों के करीब 25 हजार लोग पहुंचे थे. इस दौरान सिदो-कान्हू की प्रतिमा का शुद्धिकरण किया गया. एसके बाद सभा की गयी़ इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि सरकार आदिवािसयों की अनदेखी...

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संस्थाओं की साख का सवाल-- जगमोहन सिंह राजपूत

शिक्षा एक ऐसी गतिशील प्रक्रिया है, जिसका निर्मल प्रवाह जीवनदायिनी धारा है। जिस समाज और सभ्यता में शिक्षा के इस महत्त्व को समझ लिया जाता है, उसकी प्रगति की राह के हर प्रकार के अवरोध दूर करने के ज्ञान और कौशल से युक्त व्यक्ति सदा आगे आ जाते हैं। आज शिक्षा की अवश्यकता किसी को भी समझानी नहीं पड़ती है। सरकारी आंकड़े गवाह हैं कि संविधान के निर्देशानुसार चौदह वर्ष...

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डूब जाते हैं बनैनिया जैसे समृद्ध गांव और राजनीति उफ तक नहीं करती

महज पांच साल पहले कोसी नदी के किनारे एक खूबसूरत और समृद्ध गांव था बनैनिया. मिथिलांचल और कोसी के इलाकों को जोड़ने के लिए जब महासेतु बना, तो बनैनिया डूब गया. थोड़ी-सी प्रशासनिक सजगता इस गांव को बचा सकती थी. गुणानंद ठाकुर जैसे सांसद और मायानंद मिश्र जैसे बड़े साहित्यकार का यह गांव अब कोसी की धारा में समा गया है.  गांव के लोग 22 अलग-अलग गांवों में रहते हैं....

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अस्तित्व बचाने को जूझ रहीं "सभ्यता की जननी"

हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। जिनके आंगन में हजारों वर्षों से मानव सभ्यता फली-फूली, वे ही अपना अस्तित्व" बचाने को संघर्ष कर रहीं हैं। "सभ्यता की जननी" नदियों की हकीकत आज कुछ ऐसी ही है। जो हाल गंगा-यमुना का है वैसी पीड़ा में देश की 275 नदियां हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि जीवनदायिनी नदियों की हालत सुधरने के बजाय बदतर हो रही है। इनको निर्मल और अविरल बनाने की राह...

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