रूरल वॉयस, 11 मई मक्का के भाव में गिरावट का रुख लगातार जारी है। रबी सीजन के मक्का की मंडियों में आवक बढ़ने, निर्यात मांग के अभाव और विदेशी बाजारों में दाम घटने से औसतन भाव 1750-1850 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है। इसकी वजह से किसानों को पिछले साल की तुलना में 400-500 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान उठाना पड़ रहा है। 2022-23 के लिए सरकार ने मक्के का...
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गेहूं खरीद में सरकार को संकट से पंजाब और हरियाणा ने ही उबारा, कुल खरीद 250 लाख टन तक पहुंचने की संभावना
रूरल वॉयस, 01 मई पिछले साल की मुश्किल स्थिति के बाद सरकार को गेहूं के मोर्चे पर इस साल राहत मिलती दिख रही है। अभी तक सरकारी खरीद का ट्रेंड देखें तो चालू रबी मार्केटिंग सीजन (2023-24) में गेहूं की सरकारी खरीद 250 लाख टन से अधिक रहने का अनुमान है। 28 अप्रैल तक गेहूं की सरकारी खरीद 213.10 लाख टन पर पहुंच गई थी। पिछले साल (2022-23) गेहूं की कुल...
More »डाउन टू अर्थ खास: मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए हरित क्रांति जैसी गलती तो नहीं दोहरा रहे हैं हम!
डाउन टू अर्थ, 24 अप्रैल भारत की तरफ से संयुक्त राष्ट्र में दिए एक प्रस्ताव के आधार पर वर्ष 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स घोषित किया गया है। वैश्विक स्तर पर मोटे अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादक होने के नाते भारत इससे लाभान्वित हो सकता है। 1960 के दशक में हरित क्रांति के बाद से भारत ने गेहूं और धान पर ही ध्यान केन्द्रित कर दिया था। लेकिन, हाल के समय...
More »वैश्विक बाजार में डीएपी की कीमत गिरकर 553 डॉलर और यूरिया की 315 डॉलर तक आई
रूरल वॉयस, 24 अप्रैल डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) और यूरिया की कीमतों में लगातार गिरावट का रुख जारी है। वैश्विक बाजार में डीएपी की कीमत गिरकर 553 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई है, जो फरवरी में 640 डॉलर प्रति टन थी। नई कीमत पर सऊदी अरब की एक कंपनी के साथ हाल ही में निजी क्षेत्र की एक भारतीय कंपनी का सौदा हुआ है। वहीं यूरिया की कीमत 315 से...
More »पोषक अनाजों की खेती:- वर्तमान और भविष्य
पोषक अनाजों की अहमियत को समझते हुए भारत सरकार ने खाद्य और कृषि संगठन के सामने एक प्रस्ताव रखा था। नतीजन पूरी दुनिया, वर्ष 2023 को, अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में मना रही है।भारत,दुनिया में पोषक अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादनकर्ता है। साल 2020 में विश्व के कुल उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी करीब 41 फीसदी के आस–पास थी। पढ़िए इस लेख में पोषक अनाजों पर विस्तार से; प्राचीन...
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