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आखिर सरकार ने मानी आवारा पशुओं की समस्या की बात

-रूरल वॉइस, नगलिया बल्लू, चंदौसी, संभल, निघासन, लखीमपुर खीरी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि आवारा पशुओं की समस्या से निजात पाने के लिए 10 मार्च के बाद नई व्यवस्था लागू की जाएगी। उनका आशय यह था कि 10 मार्च को नतीजे आने के बाद उत्तर प्रदेश में फिर भाजपा की सरकार बनेगी, तब इस समस्या पर विचार किया जाएगा। गौरतलब है कि किसान कई वर्षों से इस समस्या से...

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ओबीसी वोट की होड़ में कैसे दब गया जातिगत जनगणना का मुद्दा

-जनपथ, देश के पांच राज्‍यों में चल रहे विधानसभा चुनाव और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए जातिगत राजनीति करने वाली पार्टियां अपने-अपने वोट बैंक साधने के लिए प्रयासरत हैं। देश का ओ.बी.सी. समुदाय कुल आबादी का 50 प्रतिशत से अधिक है। जाति आधारित राजनैतिक पार्टियां इस समुदाय को अपने-अपने पक्ष में करने के लिए जी तोड़ प्रयास कर रही हैं, इसीलिए जाति जनगणना करने की...

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पूंजीवाद और लोकतंत्र के ऐतिहासिक रिश्तों के आईने में संवैधानिक मूल्यों की परख

-जनपथ, प्रस्‍तुत लेख पॉपुलर एजुकेशन एंड ऐक्‍शन सेंटर (पीस), दिल्‍ली द्वारा बीते वर्ष अक्‍टूबर में संवैधानिक मूल्‍यों पर शुरू की गयी एक फैलोशिप के तहत चलाए गए अभिमुखीकरण सत्र में दिए गए पहले ऑनलाइन व्‍याख्‍यान का संपादित रूप है। पीस के मुख्‍य कार्यकारी और प्रशिक्षक अनिल चौधरी ने सामाजिक-आर्थिक न्‍याय, पत्रकारिता और कला व संस्‍कृति के फैलोज़ को इस व्‍याख्‍यान में संबोधित किया था। संपादक गाँधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए...

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आम बजट 2022-23:स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) पर फिर से ध्यान देना जरूरी क्यों?

-डाउन टू अर्थ,  क्या हमारा ध्यान प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) से हट रहा है। इसका जवाब जो भी हो, तथ्य यह है कि अगर हम ऐसा कर रहे हैं, तो हम इसकी भरपाई नहीं कर सकते। अक्टूबर 2019 में ग्रामीण भारत को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया था। इस घोषणा से केंद्र सरकार के जल-शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले पेयजल और स्वच्छता विभाग का...

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गांव में अपराध: क्या सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं से फर्क पड़ता है?

-गांव सवेरा, ग्रामीण भारत में गरीबी के उन्मूलन और आर्थिक विकास हेतु अच्छी बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच होना महत्वपूर्ण है। यह लेख, भारत मानव विकास सर्वेक्षण (आईएचडीएस) के 2004-05 और 2011-12 के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए दर्शाता है कि पक्की सड़कों से जुड़े गांवों के परिवारों में अपराध, श्रम बल की भागीदारी और पारिवारिक आय के सन्दर्भ में उन गांवों में रहने वालों की तुलना में बेहतर परिणाम पाए गए...

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