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इन्क्लूसिव मीडिया- यूएनडीपी फैलोशिप-2014 के पऱिणाम घोषित!

इन्क्लूसिव मीडिया- यूएनडीपी फैलोशिप 2014 के लिए हिन्दी और अंग्रेजी मीडिया से जुड़े ओड़िशा, झारखंड, असम और पंजाब के कुल छह पत्रकारों का चयन हुआ है। चयनित फैलो अपनी रोजमर्रा की पत्रकारिता से समय निकालकर देश के ग्रामीण और वंचित समुदायों के बीच समय बिताएंगे ताकि समाज के इस हिस्से की चिन्ता और सरोकारों को व्यापक कवरेज मिल सके और उसपर लोगों का ध्यान जा सके। फैलोशिप के अन्तर्गत चयनित...

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नयी सरकार सहारा नहीं, साथी बने

अमर पिछले 42 सालों से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के प्रति हमेशा कार्य करते रहे हैं. पहली बार सन् 1972 में इन्होंने इस क्षेत्र में बेहतरी के लिए कदम रखा और तब से लगातार गांव-पंचायतों के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं. पूर्वी चंपारण के निवासी आमर को लालबहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी, मसूरी द्वारा भूमि सुधार के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए मोमेंटो और प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया...

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21वीं सदी में गांव की उम्मीद की डोर

रांची जिले के बुढ़मू में मनरेगा की एक योजना के तहत कुआं निर्माण का कार्य करती युवतियां इस बात का प्रमाण हैं कि 21वीं सदी में गांव को ऐसे कानून व कार्यक्रम मिले हैं, जिनसे उनका पलायन रुके व उन्हें घर पर ही रोजी-रोटी मिले. इस तरह के और भी कई कार्यक्रम व कानून हैं, जिससे गांवों की सूरत पिछली सदी की तुलना में काफी बदल गयी है. हालांकि इनके...

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जंगल के असल दावेदार- विनय सुल्तान

जनसत्ता 19 मार्च, 2014 : पिछले साल की दो घटनाएं इस देश में जल, जंगल और जमीन की तमाम लड़ाइयों पर लंबा और गहरा असर छोड़ेंगी। पहली घटना दिल्ली से दो हजार किलोमीटर की दूरी पर स्थित नियमगिरि की है। यहां ग्रामसभाओं ने एक सुर में अपनी जमीन ‘वेदांता’ के हवाले करने से इनकार कर दिया। इसके बाद वेदांता कंपनी को नियमगिरि छोड़ना पड़ा। नियमगिरि जल, जंगल और जमीन की...

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संविधान ने दी गांव के आम लोगों को बड़ी ताकत

देश में हाल के दिनों में गणतंत्र दिवस को लेकर लोगों के मन में एक अलग तरह का दुराव पैदा हो गया है. लोगों को लगता है कि गणतंत्र दिवस मनाना बेकार बात है, झंडा फहराने और परेड करने से क्या फर्क पड़ता है. मगर पिछले दिनों एक दलित महिला विचारक ने कहा कि देश के सभी वंचितों को गणतंत्र दिवस जरूर मनाना चाहिये, क्योंकि इस देश के लोगों को आजादी...

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