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हाथरस: अन्याय के ख़िलाफ़ हर मोर्चे पर लड़ रहे ये लोग कौन हैं?

-सत्यहिंदी, “जो हाथरस जा रहे हैं, उनके चेहरे देखिए। ये वही हैं जो नागरिकता के नए कानून (सीएए) का विरोध कर रहे थे।” यह सावधान करने के अंदाज में बताया जा रहा है। मानो पेशेवर अपराधियों से सावधान किया जा रहा हो। कहा गया कि इन सबके पोस्टर हमने चौराहों पर लगवाए थे। ये वही हैं जो हाथरस में उस दलित लड़की के परिवार के साथ हमदर्दी जताने पहुँच रहे हैं।...

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पर्दे के पीछे, ‘मिशन आत्मनिर्भर’ की कठपुतली बड़ी कंपनियों की उंगलियों पर थिरकने लगे

-इंडिया टूडे, अब केवल दो कंपनियों की मोबाइल सेवा चलती है. हवाई यात्रा से बेबी फूड तक और मक्खन से लेकर म्युचुअल फंड तक बाजार में एकाधिकार जम गए हैं. उपभोक्ताओं के पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं. मोबाइल फोन पर मई, 2025 की कोई तारीख दिख रही है. नौकरी की चिंता में मुश्किल से सो पाया, वरुण चौंककर जग गया. आत्मनिर्भरता की आवाजों के बीच बाजार पर एकाधिकार या कार्टेल का खतरा मंडरा...

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भारत की विकास दर के अनुमानों पर आरबीआई के बदलते बोल

-द कारवां,  22 मई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भारत की आर्थिक स्थिति को "घेरती निराशा" के रूप में वर्णित किया. कोविड-19 से पहले भारत की सकल घरेलू उत्पाद का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "सभी अनिश्चितताओं को देखते हुए 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि नकारात्मक रहने का अनुमान है, 2020-21 की एच 2 (दूसरी छमाही) से आगे कुछ गति पकड़ने...

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संकटों को अवसर बना लेने वाले मुल्क अपनी अगली पीढ़ियों को एक तपी-निखरी दुनिया सौंपते हैं

-इंडिया टूडे, बीसवीं सदी की महामंदी, 1991 के भारतीय आर्थिक संकट और 2008 की ग्लोबल बैंकिंग आपदा का इतिहास हमें कुरेद-कुरेद कर बताता है कि अंतत: वही जीतते हैं जो एक अच्छी आपदा को बर्बाद नहीं करते. संकटों को अवसर बना लेने वाले मुल्क अपनी अगली पीढि़यों को एक तपी-निखरी दुनिया सौंपते हैं. बड़े बदलाव के लिए किसी बड़े संकट का इंतजार था तो मुराद अब पूरी हो गई है. संकट में...

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मतदान से पहले कितना सोचते हैं हम-- बीजू डॉमिनिक

क्या वोटिंग एक तर्कसंगत प्रक्रिया है? यदि ऐसा है, तब तो आम मतदाता अपने फैसले पर पहुंचने से पहले काफी सोच-विचार करता होगा। मसलन, उम्मीदवार किस पार्टी से हैं? साल 2014 में जो पार्टी सत्ता में आई थी, उसने क्या-क्या वादे किए थे? उनमें से कितने प्रतिशत वादे पूरे हुए? उन्होंने जो वादे किए थे, उन्हें पूरा न कर पाने के लिए क्या उनके पास वाजिब वजहें हैं? किस पार्टी...

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