कहते हैं कि तरक्की के लिए कुछ समझौते करने पड़ते हैं. बात करें किसी राज्य की तरक्की की, तो सबसे ज्यादा खामियाजा उठाना पड़ता है उसके वनों और खेतों को़ चूंकि उन्हें उजाड़कर कल-कारखाने और कॉलोनियां बसायी जाती हैं. लेकिन देश के छोटे राज्यों में शुमार, सिक्किम ने अपनी नीतियों की बदौलत वनों को बचा-बढ़ाकर और जैविक कृषि को अपनाकर और यह धारणा तोड़ी है़ सेंट्रल डेस्क आज भौतिक तरक्की की...
More »SEARCH RESULT
सूखे की मार से मवेशी भी बेजार-- पंकज चतुर्वेदी
भीषण सूखे से बेहाल बुंदेलखंड का एक जिला है छतरपुर। यहां सरकारी रिकॉर्ड में 10 लाख 32 हजार चौपाए दर्ज हैं, जिनमें से सात लाख से ज्यादा तो गाय-भैंस ही हैं। तीन लाख के लगभग बकरियां हैं। चूंकि बारिश न होने के कारण कहीं घास बची नहीं है, सो अनुमान है कि इन मवेशियों के लिए हर महीने 67 लाख टन भूसे की जरूरत है। इनके लिए पीने के पानी...
More »कई इलाकों में सूख गये कुएं...
रांची: राजधानी में जल संकट गंभीर रूप लेता जा रहा है. खास कर रातू रोड का इलाका गरमी के आने से पहले ही भीषण जल संकट से जूझ रहा है. जनवरी माह में ही कुएं का पानी पाताल छू रहा है. ऐसे में आनेवाले समय में क्या स्थिति हो सकती है, इसका अंदाज अभी से लगाया जा सकता है. रातू रोड के कुछ मुहल्लों में पानी की गंभीर समस्या उत्पन्न...
More »टिकाऊ पर्यावरण में भारत से बढ़कर कोई नहीं-- वीरेन्द्र रावत
गुजरात के भोड़ासा में नई स्कूल बिल्डिंग बना रहे थे। मैं पहाड़ी आदमी हूं, उत्तराखंड में। मुझे हरियाली की आदत है तो मैंने ट्रस्टीज को कहा कि क्या हम ग्रीन बिल्डिंग बना सकते हैं। उन्होंने पूछा कि इसका क्या मतलब है तो मैंने कहा कि यदि इमारत में प्रकृति के नियमों का पालन करें तो ऐसी इमारत ग्रीन कहलाती है। उनकी रजामंदी के बाद मैंने आर्किटेक्ट को मेरा विचार समझाया।...
More »पानी के पावर पंप पड़ रहे भारी, सालाना साढ़े छह करा़ेड बिजली का खर्च
रायपुर(निप्र)। नगर निगम क्षेत्र के जिन इलाकों में पाइपलाइन नहीं बिछी या स्लम बस्तियां जहां निजी नल कनेक्शन नहीं थे, वहां पावर पंप लगाए थे। अब ये पंप न केवल नगर निगम, बल्कि भूजल को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। निगम ने स्लम बस्तियों में भागीरथी नल-जल योजना के तहत लगभग 25 हजार कनेक्शन दे दिए हैं, लेकिन उसके बाद भी पावर पंप चालू हैं। पावर पंपों के कारण जहां...
More »