मित्रों, पिछले अंक में हमने बात कि कैसे आप भी अपना अखबार निकाल सकते हैं और उसके जरिये गांव-पंचायत में बदलाव ला सकते हैं. इस अंक में हम बात कर रहे हैं सामुदायिक रेडियो की. आप जानते हैं कि जब गांवों में अखबार नहीं पहुंचा था, तब रेडियो ही लोगों के मनोरंजन, ज्ञान और सूचना का बड़ा माध्यम था. आज भी वहां रेडियो के कार्यक्रम और समाचार सुने जाते हैं,...
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आलू सप्लाई रोकने के लिए बंगाल सरकार के आदेश पर सीमा सील, फंसा 100 करोड़ का आलू
पश्चिम बंगाल में आलू की बढ़ती कीमत को देखते हुए बंगाल सरकार ने इसके लिए गठित टास्क फोर्स को निर्देश दिया है कि जब तक राज्य में आलू की कीमतें नियंत्रित नहीं हो जाती, राज्य से बाहर आलू की आपूर्ति नहीं होगी. इस आदेश के बाद पश्चिम बंगाल की सीमाएं सील कर दी गयी हैं. इधर झारखंड में आलू की उपलब्धता कम हो गयी है. इससे इसकी कीमत...
More »खेती की सुध कौन लेगा- धर्मेन्द्रपाल सिंह
जनसत्ता 1 अगस्त, 2014 : मौसम विभाग दावा कर रहा है कि वर्षा सामान्य से केवल दस प्रतिशत कम रहेगी। लेकिन बुआई का कीमती समय निकल जाने की भरपाई कैसे होगी, इसका जवाब उसके पास नहीं है। कृषि मंत्रालय ने एक जून से सत्रह जुलाई के बीच देश भर में धान, दलहन, सोयाबीन, कपास, मूंगफली आदि की बुआई का जो रकबा जारी किया है उसे देख कर लगता है कि इस...
More »हाशिए पर भारतीय भाषाएं- अंजुम शर्मा
जनसत्ता 29 जुलाई, 2014 : लोकतंत्र में अगर तंत्र की भाषा लोक से भिन्न हो जाए तो यह लोकतंत्र के लिए अच्छा सूचक नहीं है। संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा में भाषाई आधार पर भेदभाव के जो आरोप सामने आ रहे हैं उनसे अंगरेजी मानसिकता की वर्चस्ववादी नीति और भारतीय भाषाओं की दुर्दशा पर एक बार फिर विचार करने की जरूरत पैदा हुई है।...
More »गुजरात में शिक्षा का भगवाकरण,शाखाओं में बंटनेवाली किताबें स्कूलों में- अंकुर जैन
गुजरात सरकार उन किताबों को राज्य के सभी प्राइमरी और हाइस्कूलों में पढ़ाने जा रही है, जिन्हें पिछले दो दशकों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शाखाओं में बांटा जाता रहा है. अब तक ये किताबें ‘विद्या भारती-अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान' के स्कूलों में भी पढ़ाई जा रही थीं, लेकिन अब ये सरकारी स्कूलों में भी बांटी जायेंगी. इन पुस्तकों के लेखक आरएसएस के कार्यकर्ता दीनानाथ बत्र हैं. ये वही...
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