पिछले दिनों उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या विवाद का विधिसम्मत समाधान निकालने के बजाय संबंधित पक्षों पर आम सहमति से निदान तलाशने का जिम्मा सौंप दिया। इसके उलट भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई में अनियमितताओं के लिए दोषियों को दंडित तो नहीं किया, अलबत्ता क्रिकेट प्रशासन में सुधार का जिम्मा सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के हाथ में सौंप दिया। शायद यही कारण रहा कि जब सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्व सांसदों की पेंशन...
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लाभ-हानि के पलड़े पर यूबीआइ-- रीतिका खेड़ा
साल 2016-2017 के आर्थिक सर्वेक्षण के ठीक पहले वित्त मंत्रालय से छन कर आनेवाली खबरों में यूबीआइ के बारे में खूब चर्चा थी. यूबीआइ के दो मुख्य सिद्धांतों में एक तो इसकी सार्वभौमिकता है, ताकि सभी नागरिक इसके अंतर्गत आ सकें. और दूसरा, एक ‘बुनियादी आय' है, जिसके बल पर किसी अन्य उपार्जन के बगैर भी एक गरिमापूर्ण जीवन जीया जा सके. पर, इस दिशा में अब तक जिन विचारों...
More »कर्ज माफी अंतिम उपाय नहीं-- आर. सुकुमार
देश के कई हिस्से इन दिनों कृषि संकट से गुजर रहे हैं।काफी हद तक इसकी वजह खराब मानसून है। ज्यादातर इलाकों में किसान आज भी सालाना बारिश पर निर्भर हैं, लेकिन कम बारिश के चलते साल 2014 और 2015 उनके लिए अच्छे नहीं रहे, हालांकि 2016 में अच्छी बारिश हुई थी। इस संकट की एक वजह कमोडिटी साइकिल (उत्पादों का चक्र) भी है, जिसके कारण खाद्य उत्पादों की वैश्विक कीमतें चक्रानुक्रम...
More »तीन सरकार, तीनों बेकार!-- योगेन्द्र यादव
हमारे देश में महानगरों की हालत इतनी बुरी क्यों है, यह समझना है तो दिल्ली आइए. लोकतांत्रिक चुनाव इसे बदलने में क्यों असफल रहते हैं, यह जानने के लिए दिल्ली नगर निगम के चुनाव को देखते रहिए. हमारे शहरों-महानगरों में सरकार एक भूल-भुलैया है. सरकारी बाबू के सिवा किसी को नहीं पता कि किसका क्या अधिकार क्षेत्र है. दिल्ली शहर में तीन सरकारों का राज चलता है- उपराज्यपाल...
More »कैदियों के प्रति हो मानवीय नज़रिया--- अवधेश कुमार
उत्तर प्रदेश की फर्रुखाबाद जिला जेल में जो कुछ हुआ, उससे देश के आम व्यक्ति के अंदर भय पैदा होना स्वाभाविक है। आम धारणा यही है कि जेल में बंदियों को सख्त सुरक्षा और अनुशासन में रखा जाता है। उसमें अगर बंदी बैरकों से बाहर निकल आएं, प्रांगण में आग लगा दें, छत पर चढ़कर पथराव करने लगें, जेल अधीक्षक और जेलर ही नहीं, जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक तक को...
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