-बीबीसी, "गांव वालों से बचने के लिए हम लोग बहुत भागे, लेकिन उन लोगों ने हम लोगों को पकड़ लिया. रात भर पीटते रहे, ब्लाउज़ फाड़ दिया, साड़ी फाड़ डाला और छाती पर चढ़ कर मैला (मानव मल का घोल) पिलाया. सुबह गाछी में ले जाकर बाल काट दिए." मुज़फ़्फ़रपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज में भर्ती 55 साल की सुदमिया देवी (बदला हुआ नाम) ने बीबीसी से फ़ोन पर ये बात बताई....
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लॉकडाउन में फैलती मर्दवाद की महामारी से कैसे निपटें?
-जनपथ, कोरोना वायरस ने भारत सहित पूरी दुनिया को बदल दिया है लेकिन दुर्भाग्य से इससे हमारी सांप्रदायिक, नस्लीय, जातिवादी और महिला विरोधी सोच और व्यवहार पर कोई फर्क नहीं पड़ा है. आज दुनिया भर के कई मुल्कों से खबरें आ रही हैं कि लॉकडाउन के बाद से महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा के मामलों में जबरदस्त उछाल आया है. वैसे तो किसी भी व्यक्ति के लिये उसके “घर” को सबसे सुरक्षित...
More »"सरकार का पैसा वापस चला जाएगा"... इस अफवाह ने बढ़ा रखी है बैंकों के बाहर भीड़?
-गांव कनेक्शन, तेज धूप के बाद एकाएक बारिश शुरु हो गई थी, लेकिन आशा देवी बैंक के बाहर लगी लाइन में खड़ी रहीं। उन्होंने अपना विड्राल फार्म पासबुक के अंदर रखकर पल्लू में छिपा लिया। आशा को न धूप से दिक्कत थी न बारिश से और ना ही भीड़ के चलते कोरोना से संक्रमित होने की आशंका, उन्हें अपने 500 रुपए की चिंता थी, जो सरकार ने उनके जनधन खाते में...
More »डेरी किसान महिलाओं ने लॉकडाउन (बंदी) के दौरान सुनिश्चित किया दूध का सुरक्षित वितरण
-विलेज स्कवायर, देश में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए किए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान, शहरों और कस्बों में ज्यादातर गतिविधियाँ थम गई हैं। अभूतपूर्व संकट के इस समय, कई सकारात्मक ताकतों के बीच एक शानदार मिसाल डेरी किसान महिलाएं हैं, जिन्होंने हालात के सामने झुकने से इनकार कर दिया है। पुणे जिले के तालेगाँव के पास मावल गाँव की, मावल डेयरी फार्मर्स सर्विसेज प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड की दमदार...
More »इस कठिन समय में चरवाहों पर ध्यान देने की फुर्सत किसी को नहीं, तो क्या वे इतने ही गैर जरूरी हैं?
शाम होने को है. आसमान में बादलों ने अपना घेरा डाल लिया है. तितलियां उड़-उड़कर यह बतला रही हैं कि जुगनू का पट ओढ़े आएगी रात अभी. धीमे-धीमे हवा अपना ताना बुन रही है. बटेर झाड़ियों में छिप रहे हैं. मध्य प्रदेश राज्य के रतलाम ज़िले की झालरा तहसील का मामनखेड़ा गांव. यहां से करीब चार किलोमीटर दूर जंगल मे भेड़-बकरियों का बड़ा रेवड़ बैठा है. करीब 2000 से ज्यादा भेड़-बकरियां...
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