देवघर के मोहनपुर प्रखंड का सबसे समृद्घशाली पंचायत है यह. घोरमारा पेड़ा बाजार है इस पंचायत का प्रमुख उद्योग. देश-विदेश के लोग रुकते हैं पंचायत में. उमेश यादव मोहनपुर प्रखंड का बांक पंचायत. इस पंचायत की नाम जितनी छोटी है, दर्शन उतने ही बड़े हैं. तीन प्लेटफॉर्म वाला रेलवे स्टेशन, स्टेट हाइवे, डाकघर, दो-दो बैंक शाखाएं, प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, उच्च विद्यालय, डाक बंगला, बड़े-बड़े तालाब, एक महीने में 10 करोड़ से अधिक...
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समूचा झारखंड बुधनी है, पर वह कहां है किसी को पता नहीं!- अश्विनी कुमार पंकज
बारह वर्षों के झारखंड में आज अगर हूल की प्रासंगिकता समझनी हो तो बुधनी को जानना जरूरी है। हालांकि सांस्कृतिक अतिक्रमण और हमले से गुजर रहे आज के झारखंड में अब ‘बुधनी’ जैसे ठेठ आदिवासी नाम नहीं मिलते हैं फिर भी रजनी, रोजालिया, रजिया जैसे नामों वाली आदिवासी स्त्रियां रोज ‘बुधनी’ बनने के लिए अभिशप्त हैं। कौन है यह बुधनी और ‘हूल’ के संदर्भ में उसकी चर्चा क्यों जरूरी है?...
More »मुखिया को ठेकेदार मत बनाइए- टी आर रघुनंदन
इन दिनों देश के प्रशासनिक ढांचे में आमूल-चूल बदलाव लाने की कोशिश की जा रही है. सैद्धांतिक रूप से यह मान लिया गया है कि प्रशासन का ब्रिटिश ढांचा भारतीय परिस्थिति में नहीं सफल हो रहा. महात्मा गांधी ने जो गांवों के सरकार की कल्पना की थी वही देश को ढंग से चलाने का कारगर तरीका हो सकता है. इसके लिए कई सालों से विकेंद्रीकरण की कोशिशें की जा रही...
More »मुखिया को ठेकेदार मत बनाइए- टी आर रघुनंदन से प्रभात खबर के पुष्यमित्र की बातचीत
इन दिनों देश के प्रशासनिक ढांचे में आमूल-चूल बदलाव लाने की कोशिश की जा रही है. सैद्धांतिक रूप से यह मान लिया गया है कि प्रशासन का ब्रिटिश ढांचा भारतीय परिस्थिति में नहीं सफल हो रहा. महात्मा गांधी ने जो गांवों के सरकार की कल्पना की थी वही देश को ढंग से चलाने का कारगर तरीका हो सकता है. इसके लिए कई सालों से विकेंद्रीकरण की कोशिशें की जा रही...
More »विकास का शौचालय सिद्धांत- यशवंत व्यास
आत्मविकास की परंपरा में शौचालय का भारी योगदान रहा है। दिशा-मैदान की भारतीय रीति ने कई लोगों को दिमागी तौर पर परेशान किया। कहा जाता है कि गांवों में जंगल की झाड़ियों को ढूंढने और लौटते समय कुएं से दातौन चबाते हिंदुस्तानी लोग परदेसियों के लिए अजूबे थे। भूमिपुत्रों के देश में शौचालय की परंपरा का आगमन आयातित संस्कृति का प्रतीक हो सकता है, लेकिन इससे कौन इनकार करेगा कि महानगरों...
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