आठ नवंबर को 500 तथा 1000 रुपये के नोटों का चलन रातोंरात रोकने की घोषणा नीयत तथा क्रियान्वयन के पारस्परिक संबंध का मौलिक मुद्दा उजागर करती है. क्या किसी क्रिया के पीछे की सराहनीय मंशा उसके नकारा क्रियान्वयन को माफ कर देने की वाजिब वजह हो सकती है? अथवा, क्या क्रियान्वयन की खामियां उस मंशा का मूल्य ही कम कर देती हैं? विचार तथा क्रिया के बीच का यही द्वंद्व...
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ताकि लड़कियां हों लीडर --- सुजाता
अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य की पिछले दिनों एक महत्वपूर्ण घटना कही जा सकती है अमेरिका के राष्ट्रपति पद का चुनाव और उसमें भी डोनाल्ड ट्रंप की जीत. इसे राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर हिलेरी क्लिंटन की हार भी कही जा सकती है. राजनीतिज्ञ इसकी बारीकियों को बता सकते हैं और आनेवाले दिनों में विश्व राजनीति व अर्थव्यवस्था से जुड़ी भविष्यवाणियां भी कर सकते हैं. राष्ट्रपति के तौर पर नहीं, स्त्री के तौर...
More »बुलेट ट्रेन का सपना और हादसों की रेल - अरविंद सिंह
कानपुर देहात में इंदौर-पटना एक्सप्रेस ट्रेन की भयानक दुर्घटना ने पूरे देश को शोकाकुल कर दिया। यह देश के सबसे बड़े रेल हादसों में एक है। जब भारतीय रेल गति और प्रगति के नारे के साथ बुलेट ट्रेन की तैयारी कर रही हो और रेल बजट को आम बजट में समाहित कर लंबी छलांग की परिकल्पना की जा रही हो, ऐसे दौर में हुआ यह हादसा साबित करता है कि...
More »कितना हमला, कितना जुमला!-- अनिल रघुराज
सड़क से संसद तक फैली अशांति के बीच केंद्र सरकार की गति सांप और छछुंदर जैसी हो गयी है. न उगलते बन रहा है और न निगलते. एक मुश्किल सुलझाने निकले तो बड़ी मुसीबत गले पड़ गयी. दरअसल, पिछले महीने दीवाली के चंद दिन पहले ही केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने आंकड़ा जारी किया कि देश की 129.5 करोड़ की आबादी में से मात्र 3.65 करोड़ या 2.8 प्रतिशत लोग...
More »नोटबंदी पर विपक्ष का अनुचित रवैया - संजय गुप्त
काले धन के खिलाफ एक बड़े कदम के रूप में पांच सौ और एक हजार रुपए के नोट चलन से बाहर करने के मोदी सरकार के फैसले के विरोध में विपक्षी दल जिस प्रकार संसद के भीतर-बाहर हंगामा कर रहे हैं, वह हैरान करने वाला भी है और भ्रष्टाचार-काले धन के खिलाफ होने के उनके दावे की पोल खोलने वाला भी। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सपा, बसपा और वाम दलों के...
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