2,800 करोड़ रु इधर-उधर हो गए और 4,765 करोड़ रू का कोई हिसाब नहीं. झारखंड में कैग की हालिया रिपोर्ट यह भी बता रही है कि यह सब कैसे हुआ. इसके बावजूद सरकार और उससे भी ज्यादा विपक्ष की चुप्पी हैरान करती है. अनुपमा की रिपोर्ट चारा घोटाले के वक्त बिहार में अक्सर कहा जाता था कि नेता-अधिकारी जानवरों का चारा तक डकार गए. पिछले दिनों झारखंड विधानसभा में पेश कैग रिपोर्ट के...
More »SEARCH RESULT
मुद्दा: गरीब की नई परिभाषा
गरीबी: सभ्य समाज के इस सबसे बड़े अभिशाप को राष्ट्रपिता गांधी जी ने हिंसा का सबसे खराब रूप कहा। करेला उस पर नीम चढ़ा कि स्थिति यह कि गरीबों को 'गरीब' न मानना। हमारे हुक्मरानों ने गरीबों की नई परिभाषा गढ़ी है। अगर आप शहर में रहकर 32 रुपये और गांव में रहकर 26 रुपये प्रतिदिन से अधिक खर्च कर रहे हैं तो आप गरीब नहीं है। खुद को गरीब मानते...
More »निर्धनता का विचित्र पैमाना- संजय गुप्त
उच्चतम न्यायालय में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की खामियां दूर करने के मामले की सुनवाई के सिलसिले में योजना आयोग के इस हलफनामे ने देश को चौंका दिया कि शहरी क्षेत्रों में प्रतिदिन 32 और ग्रामीण इलाकों में 26 रुपये खर्च करने वाले लोग गरीबी रेखा से ऊपर माने जाएंगे। इस हलफनामे से योजना आयोग के साथ-साथ केंद्र सरकार की भी फजीहत हुई। इस हलफनामे को लेकर सबने सरकार को कोसा।...
More »स्टेट : आंकड़े ही खोल रहे हैं नक्सल विरोधी अभियान की पोल
रांची : राज्य में चल रहे नक्सल विरोधी अभियानों की पोल खोलने के लिए गृह विभाग के पिछले छह माह के आंकड़े ही काफी हैं। जनवरी से जून तक पुलिस ने 17 नक्सलियों को मारा है तो नक्सलियों ने भी इतने ही पुलिसकर्मी मार गिराए हैं। इस तरह इस अभियान में हिसाब-किताब बराबर चल रहा है। नक्सलियों और पुलिस के बीच हुए तीन दर्जन मुठभेड़ों से आगे बढ़ें तो इस मायने में...
More »किसान महापंचायत के लिए रावतखेड़ा में पंचायत
हिसार, जागरण संवाद केन्द्र : किसान अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। फिर भी हिसार लोकसभा उपचुनाव का मुद्दा नहीं है। गाव रावतखेड़ा में 9 अक्तूबर को होने वाली किसान महापंचायत की तैयारी हुई पंचायत को संबोधित करते हुए किसान यूनियन फेडरेशन के प्रदेश महासचिव महेद्र सिंह गोदारा ने कहा कि आज किसान की हालत दयनीय हो गई। आसमानी संकट ने किसान की फसलों को भारी नुकसान पहुचाया है। उसकी भरपाई का कानून...
More »