बिलासपुर.राजीव गांधी शिक्षा मिशन द्वारा संचालित ‘सर्व शिक्षा अभियान’ योजना जिस उद्देश्य को लेकर वर्ष 2003 में शुरू की गई थी वह अरबों रुपए खर्च करने के बाद भी पूरा नहीं हो सका। देश में लागू ‘शिक्षा का अधिकार’ कानून ने अब सर्व शिक्षा अभियान की उम्र ही बढ़ा दी है। दिसंबर 2010 में समाप्त होने वाली योजना के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2010-11 के लिए बजट जारी कर दिया...
More »SEARCH RESULT
इन करोड़ों बच्चों का पता कहां मिलेगा ---शिरीष खरे
2001 की जनगणना के ही अलग-अलग आकड़ों के जोड़-घटाव से एक अहम सवाल उभरता है. पहले आंकड़े के मुताबिक देश के 8 करोड़ 50 लाख बच्चे स्कूल नहीं जाते. दूसरे आंकड़े में 5 से14 साल उम्र के एक करोड़ 30 लाख बच्चे मजदूर हैं. अगर 8 करोड़ 50 लाख में से 1 करोड़ 30 लाख को घटा दें, तो सात करोड़ 20 लाख बचते हैं. यह उन बच्चों की संख्या है...
More »आकाश की ऊंचाइयां नापती बेटियां
पटना बेटियां, आकाश की ऊंचाइयां नाप रही हैं। कुछ सालों से 10 वीं, 12 वीं व इंटरमीडिएट की परीक्षाओं में लगातार आगे हैं। यह सिर्फ उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि इसके पीछे सामाजिक-आर्थिक बदलाव के साथ सरकारी प्रयास भी महत्वपूर्ण कारक हैं। बदलते माहौल में मिले अवसर व प्रोत्साहन के बीच वे अपनी खातिर 'नया आकाश' बना रहीं हैं। भारत, स्त्री शिक्षा के...
More »बंगाल में साक्षर भारत मिशन प्रोजेक्ट शुरू
कोलकाता। राज्य सरकार ने बंगाल में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री के 'साक्षर भारत मिशन प्रोजेक्ट' को शुरू कर दिया है। जनशिक्षा व ग्रंथागार विभाग के मंत्री तपन राय ने बृहस्पतिवार को राइटर्स में मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के साथ विभागीय स्तर की बैठक करने के बाद पत्रकारों को इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नौ जिलों में इसकी शुरुआत की गई है जिनमें जलपाईगुड़ी, मालदा, मुर्शिदाबाद, पुरुलिया, बांकुड़ा, वर्द्धमान, वीरभूम, उत्तर व दक्षिण चौबीस...
More »गरीबी के कारण छोड़ देते हैं 21 फीसदी बच्चे पढ़ाई
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। तमाम दावों व वादों के प्रचार-प्रसार से देश में पढ़ाई-लिखाई की तस्वीर भले ही आकर्षक लगने लगी हो, लेकिन जमीनी हकीकत ज्यादा नहीं बदली है। आलम यह है कि सरकार चाहकर भी सभी बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि पैदा करने में नाकाम रही है। तमाम दावों के बीच देश के 21 प्रतिशत बच्चों के बीच में पढ़ाई छोड़ देने की मुख्य वजह अब भी उनकी गरीबी है। देश में पढ़ाई...
More »