SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 2092

भले ही बन जाए कानून, फिर भी दो करोड़ को नहीं मिलेगी रोटी!

भोपाल. लोकसभा में बीते सप्ताह पेश राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक गरीबों के लिए रोटी सुनिश्चित कर सकेगा, इसमें संदेह है। इसके पारित होने और कानून बनने के बाद भी प्रदेश के कम से कम 28 फीसदी जरूरतमंद लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाएगा। यानी करीब दो करोड़ लोगों को रोटी नसीब नहीं हो पाएगी। गरीबी के आंकड़ों के लिए एन्साइक्लोपीडिया मानी जाने वाली अर्जुन सेन गुप्ता समिति की रिपोर्ट के मुताबिक देश...

More »

सुधार पर हावी सियासत : केविन रैफर्टी

मेरे पुराने मित्र मनमोहन सिंह इस वक्त आखिर क्या सोच रहे होंगे? क्या अब समय आ गया है कि वे भारत के प्रधानमंत्री पद के दायित्व से मुक्त हो जाएं और 40 वर्षो की शीर्षस्तरीय लोकसेवा के बाद रिटायरमेंट ले लें? या क्या उन्हें और सोनिया गांधी के कांग्रेस-नीत गठबंधन को इस उम्मीद में मध्यावधि चुनाव करा लेना चाहिए कि शायद युवा राजनेता सामने आएं और अपने ताजगीभरे विचारों के साथ भारत...

More »

कृषि उत्पादन नहीं, मूल्य बढ़ायें- भरत झुनझुनवाला

अर्थव्यवस्था में तीव्र विकास के बावजूद कृषि और किसानों की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है. पिछले साठ वर्षो में प्रत्येक सरकार ने कृषि में सुधार का संकल्प लिया है, किंतु स्थिति बिगड़ती गयी है, जैसा कि आत्महत्या की बढ़ती संख्या से अनुमान लगता है. मूल कारण यह है कि सरकार का ध्यान कृषि उत्पादन में वृद्धि की ओर ज्यादा रहा है, मूल्यों में वृद्धि की ओर कम. मान्यता है कि...

More »

राजस्थान दलहन उत्पादन में देशभर में अव्वल

जयपुर। खेती के लिहाज से देशभर में ख्यातनाम इंदिरा गाधी नहर क्षेत्र परियोजना समेत अन्य इलाकों में दलहन की जबर्दस्त पैदावार से राजस्थान जहा एक ओर दलहन उत्पादन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के हाथों से पुरस्कृत किया गया, वहीं प्रतिपक्ष राज्य सरकार पर किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं करने का आरोप लगा रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रतिपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि सरकार किसानों का...

More »

किसानों की दुर्दशा के लिए कौन जिम्मेदार- राम कौंडिन्या

भारतीय किसान की तस्वीर आज भी कमोबेश कक्षा आठ में लिखे जाने वाले उस निबंध से बाहर नहीं निकल पाई है, जहां हम पहली लाइन में तो यह लिखते थे कि किसान देश का पेट पालते हैं, लेकिन आखिरी लाइन यही रहती थी कि किसान किसानी से इतना कमा नहीं पाते कि वे अपना पेट पाल सकें। भारतीय किसान की यह तस्वीर बदलती क्यों नहीं है? जीवन के हर हर क्षेत्रों में...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close