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कैसे करें सूखे का सामना-- बाबा मायाराम

पिछले साल किसान सूखे की मार झेल चुके हैं। इस साल फिर सूखा पड़ गया। जबकि कुछ वर्षों से किसान निरंतर संकट में हैं। उनकी हालत पहले से ही खराब है। इस वर्ष सूखे ने उन्हें गहरे संकट में डाल दिया है। भारतीय मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही निकली है। खुद कृषि मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया है कि सामान्य से पंद्रह-सोलह फीसद कम बारिश हुई। इससे खरीफ की फसल...

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दाल का हाल : आत्मनिर्भरता से कितना दूर है देश ?

क्या निकट भविष्य में देश दलहन के मामले में आत्मनिर्भर हो पाएगा जैसा कि केंद्र की नई सरकार के एक साल पूरा होने पर प्रधानमंत्री ने वादा किया था ?   दलहन के उत्पादन, आयात और उपभोग से संबंधित हाल का एक अध्ययन प्रधानमंत्री के वादे के विपरीत इशारे करता है. मिसाल के लिए अध्ययन के इन तथ्यों पर गौर करें :   साल 2030 तक भारत की आबादी के 1.68 अरब होने के अनुमान हैं...

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देश के पर्यावरण को बचाने के लिए अकेले दम पर लगाए 1 करोड़ पेड़

दुर्ग। दारीपल्ली रमैया वो शख्स हैं जिनके बिना खम्मम में कोई भी कार्यक्रम पूरा नहीं होता। इस महान शख्स ने पेड़ों को बचाने के लिए अपनी पूरी जिंदगी दांव पर लगा दी। हर एक समारोह में रमैया को भले ही पुरस्कारित किया जाता हो, लेकिन समारोह के अंत में वह भीड़ द्वारा फेंके गए प्लास्टिक प्रोडक्ट्स को उठाने का काम करते हैं। इसके चलते कई बार लोग उन्हें कूड़ा बिनने...

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देश के पर्यावरण को बचाने के लिए अकेले दम पर लगाए 1 करोड़ पेड़

दुर्ग। दारीपल्ली रमैया वो शख्स हैं जिनके बिना खम्मम में कोई भी कार्यक्रम पूरा नहीं होता। इस महान शख्स ने पेड़ों को बचाने के लिए अपनी पूरी जिंदगी दांव पर लगा दी। हर एक समारोह में रमैया को भले ही पुरस्कारित किया जाता हो, लेकिन समारोह के अंत में वह भीड़ द्वारा फेंके गए प्लास्टिक प्रोडक्ट्स को उठाने का काम करते हैं। इसके चलते कई बार लोग उन्हें कूड़ा बिनने...

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छह दशकों में बदल डाली तसवीर

गांव में रहनेवाले बच्चे आमतौर पर प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद उच्च शिक्षा या नौकरी के इरादे से बड़े शहरों का रुख कर लेते हैं. लेकिन 84 साल के हो चले भीखूभाई व्यास ने ऐसा नहीं किया़ युवावस्था में अपने गांव को छोड़ जाने से बेहतर उन्होंने अपनी मिट्टी से जुड़े रह कर उसे संवारने का बीड़ा उठाया़ आइए जानें कैसे़गुजरात के...

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