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कोरोना महामारी ने मनरेगा के सामाजिक ऑडिट सिस्टम को प्रभावित किया है!

जब महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम (MGNREGA) - एक मांग-संचालित कार्यक्रम पर सार्वजनिक धन का एक बड़ा हिस्सा खर्च किया जाता है, तो वित्तीय गड़बड़ी और कुप्रबंधन की संभावना होती है. शुक्र है कि ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून में इस तरह की गड़बड़ियों को रोकने के लिए चेक और बैलेंस मौजूद हैं. यह ध्यान देने योग्य है कि महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम (MGNREGA) के तहत 2020-21 के लिए...

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जैविक सब्जियों की खेती  -बाबा मायाराम

“मैं अपनी छत पर सब्जियों की खेती करता हूं। गमले में या पुराने टूटे -फूटे टीन के डिब्बों में हरी सब्जियां लगाता हूं। पालक, मैथी, बैंगन, टमाटर, ककड़ी, लौकी, गिलकी, भिंडी लगी है। इससे हमारे परिवार को पूरे हफ्ते हरी ताजी सब्जियां मिलती हैं।” यह रोहना गांव के राजेश सामले थे, जो मध्यप्रदेश के होशंगाबाद में रहते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता राजेश सामले होशंगाबाद जिले की सबसे पुरानी गांधीवादी संस्था ग्राम सेवा...

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आर्थिक उद्देश्य संविधान के विजन से अलग नहीं हो सकते : तलोजा जेल से आनंद तेलतुंबड़े

-कारवां, सार्वजनिक सेक्टर के उद्यमों का निजीकरण करने की मोदी सरकार की योजना पर जारी बहस से कुछ हद तक पुरानी बहसों की याद आती है. सरकार के समर्थन में निजीकरण की पैरवी करने वाले लोग दलील दे रहे हैं कि निजीकरण हमेशा ही सार्वजनिक सेक्टर के लिए कारगर रहा है. वे नहीं जानते लेकिन इस दलील का तार्किक विस्तार करें तो यह बेतुका लेकिन जायज सवाल भी किया जा सकता है...

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किसी को फ़र्ज़ी केस में फंसाकर उसकी ज़िंदगी ख़राब कर देना इतना आसान क्यों है

-द वायर, ‘कोई न कोई जरूर जोसेफ के के बारे में झूठी सूचनाएं दे रहा होगा, वह जानता था कि उसने कोई गलत काम नहीं किया है लेकिन एक अलसुबह उसे गिरफ्तार किया गया.’ (Someone must have been telling lies about Joseph K, he knew he had done nothing wrong but one morning, he was arrested) बहुचर्चित उपन्यासकार फ्रांज काफ्का के उपन्यास ‘द ट्रायल ’ (The Trial) की यह शुरुआती पंक्ति, जो लगभग...

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आत्मनिर्भर खेती की ओर - बाबा मायाराम

“पहले मैं रासायनिक खेती करता था, लेकिन इससे धीरे-धीरे मेरे खेत की मिट्टी जवाब देने लगी, उत्पादन कम होने लगा। इसके बाद मैंने जैविक खेती शुरू की। जैविक खाद व जैव कीटनाशक बनाना सीखा। खेती में अच्छा उत्पादन लिया, मिट्टी में सुधार हुआ। अब मैं दूसरों को भी जैविक खेती करने के लिए प्रशिक्षण देता हूं।” यह ओडिशा के सुदाम साहू थे, जो बरगढ़ जिले के कांटापाली गांव में रहते...

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