शहरीकरण को लेकर सरकार का नजरिया यह है कि इस पर सियापा करने के बजाय इसे मौके के रूप में देखा जाना चाहिए। उसके मुताबिक शहरों में गरीबी दूर करने की ताकत होती है और हमें इस ताकत को और आगे बढ़ाना चाहिए ताकि आर्थिक समृद्धि का स्वत: प्रसार हो। सुख-सुविधाओं की मौजूदगी के चलते शहर सदा से मनुष्य के आकर्षण के केंद्र रहे हैं। आज की तारीख में तो ये...
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…ताकि आचमन योग्य बन सके हरियाणा में यमुना का पानी
सजला और पुण्य सलिला कही जाने वाली यमुना की दुर्दशा दिल्ली के बाद सबसे अधिक हरियाणा में ही हुई है। यमुनानगर से ही यमुना मैली होना शुरू होती है और पानीपत पहुंचते-पहुंचते इसका पानी पशुओं के पीने लायक भी नहीं रहता। यमुना को शुद्ध करने के प्रयास हुए, लेकिन ये कागजों में दबे रहे। अब नये सिरे से प्रदेश सरकार यमुना को मैला होने से रोकने का प्रयास कर रही...
More »दलहन उत्पादन दो करोड़ टन होने का अनुमान
नई दिल्ली। दालों के बढ़ते मूल्य से हलकान केंद्र सरकार को चालू खरीफ सीजन से बड़ी उम्मीदें हैं। केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान के मुताबिक चालू फसल वर्ष में दलहन की पैदावार अब तक के शीर्ष स्तर दो करोड़ टन तक पहुंच सकती है। दालों के मूल्य और मानसून की अच्छी बारिश और अनुकूल वातावरण को देखते हुए सरकार का अनुमान है कि इस बार दलहन उत्पादन में 18 फीसद...
More »राजनीतिक दबाव व पुलिस की बेबसी के चलते यूपी में है जंगल राज- नीलांशु शुक्ल
मैं बीते चार सालों से दिल्ली में नौकरी कर रहा हूं। मूल रूप से यूपी के औद्योगिक केंद्र कानपुर का रहने वाला हूं। अधिकतर लोग जिन्हें बताता हूं कि मैं यूपी का रहने वाला हूं वो एक ही बात कहते हैं कि वहां क़ानून-व्यवस्था बेहद ख़राब है। कभी-कभी तो यूपी के प्रति लोगों की इस मानसिकता पर बेहद गुस्सा आता है, लेकिन प्रदेश में दिनोंदिन बिगड़ रही क़ानून व्यवस्था को...
More »सब्सिडी : कल्याण या राजनीति? मुफ्तखोरी के दुष्चक्र में फंसता देश
ज्यादातर देशों में एक ओर जहां राजनीतिक पार्टियां चुनाव जीतने के लिए मुफ्तखोरी को हथियार बनाती हैं, वहीं इसी दुनिया में स्विटजरलैंड जैसा भी एक देश है, जहां की जनता ने सरकार की इस पेशकश को ठुकरा दिया. दूसरी तरफ भारत में देखें तो राजनीतिक पार्टियां और सरकारें मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्तखोरी को बढ़ावा देनेवाली नीतियों को प्रश्रय देती रहती हैं भारत जैसे कल्याणकारी राज्य में सब्सिडी एक जरूरी...
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