जातिवार जनगणना की मृत्यु हो चुकी है और बिना किसी रुदाली के उसे दफना भी दिया गया है। इसकी कब्र पर अब रोने वाला भी कोई नहीं है। यह सब बेहद चुपचाप हुआ। 2017 के जुलाई महीने की छब्बीस तारीख को दिल्ली में केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बैठक हुई। समिति की इस बैठक में फैसला किया गया कि सामाजिक-आर्थिक और...
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पढ़िए, पंजाब और हरियाणा में कितनी जलती है पिराली, क्या हैप्पी सीडर है इसका समाधान ?
हरियाणा और पंजाब में कितने हैप्पी सीडर हैं ? धूल और धुएं से भरे घने कोहरे में लिपटी दिल्ली को गैसचैंबर करार दिए जाने के बीच कृषि मंत्रालय द्वारा जारी एक हिदायत के मद्देनजर यह सवाल पूछा जा सकता है. हैप्पी सी़डर को पिराली की जलाने की समस्या की जादुई समाधान भी बताया जा रहा है. बीते 10 नवंबर को जारी कृषि मंत्रालय की हिदायत में हैप्पी सीडर का जिक्र आया है. कृषि मंत्रालय ने पश्चिमी...
More »RBI का बड़ा फैसला, देश में नहीं है इस्लामिक बैंकिंग की जरूरत
नई दिल्ली। एक बड़ा फैसला लेते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने देश में इस्लामी बैंकिंग की शुरूआत करने वाले प्रस्ताव पर हामी नहीं भरी है। एक आरटीआई के जवाब में केंद्रीय बैंक ने कहा कि सभी नागरिकों तक बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं पहुंचाने के "व्यापक और समान अवसर" पर विचार करने के बाद ही यह निर्णय लिया गया है। आरटीआई में दिए गए जवाब में कहा गया, "इस्लामिक या शरिया...
More »शेल कंपनियां और भ्रष्टाचार की कहानी - 1/ हरिवंश
यह महज संयोग था, दक्षिण से दिल्ली लौटा था. शेल कंपनियां की खबरें, पहली बार पढ़ा-सुना. एक चार्टर्ड एकाउंटेंट मित्र से बुनियादी जानकारी ली. समझा. इस विषय को राज्यसभा में उठाने के लिए शून्यकाल में नोटिस दिया. दो-बार. अंतत: स्वीकृत हुआ. उपराष्ट्रपति जी (तत्कालीन) से मिल कर विषय का महत्व बताया. शायद, राज्यसभा में इस विषय पर तब यह पहली चर्चा थी. 22 मार्च 2017 को शून्यकाल में उसे उठाने...
More »शेल कंपनी कथा दूसरी कड़ी : काले धन के खिलाफ जंग राजधर्म है-- हरिवंश
राजनीति विचारधारा या भावना से चलती है और अर्थनीति शुद्ध स्वार्थ की नीितयों से. पिछले 60-70 वर्षों में एक तरफ राजनीति में भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक जंग की बात भारत में बार-बार हुई, तो दूसरी तरफ भ्रष्ट ताकतों ने आर्थिक नियमों, कंपनी कानूनों को ऐसा बनाया कि भ्रष्टाचार की जड़ें लगातार मजबूत होती गयीं. शेल कंपनियां ऐसे ही कंपनी कानूनों की उपज हैं, पर आश्चर्य यह है कि 60-70 वर्षों...
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