हम सौभाग्यशाली हैं कि देश की चुनाव प्रक्रिया ही कार्यकारी राजनीतिक शक्ति का एक मात्र मार्ग है. हाल के साफ-सुथरे चुनावी परिणाम इसका सबूत हैं. हालांकि, चुनावी-प्रक्रिया में अनेक सुधारों के बावजूद आज भी आम जनता की राय में चुनावी प्रक्रिया देश की मूल खराबियों का मुख्य कारण है, जैसे कि सरकारी खजाने की चोरी, कालेधन की अपार महत्ता आदि. इन सब से जनता का चुनावी पद्धति और व्यवस्था में...
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कॉल ड्रॉप का गोरखधंधा-- रघु ठाकुर
इस समय देश में मोबाइल फोन के उपभोक्ताओं की संख्या अस्सी-नब्बे करोड़ के बीच पहुंच गई है और कुछ लाचारी तथा कुछ जरूरतों के आधार पर एक-एक व्यक्ति दो-तीन मोबाइल फोन रखने को बाध्य हो रहा है। जमीनी फोन की संख्या घटी है और उसके पीछे भी महत्त्वपूर्ण कारण नब्बे के दशक से एक तरफ देश में मोबाइल फोन के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ना और दूसरी तरफ जमीनी फोन...
More »भारत की रेटिंग व्यक्ति नहीं, नीतियों से तय होगी : राजन मामले पर फिच
नई दिल्ली: प्रमुख वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच ने रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन के जाने से भारत की वित्तीय साख पर किसी तरह की आंच आने की आशंकाओं को खारिज किया है। एजेंसी ने कहा है कि ‘व्यक्तियों से ज्यादा महत्व नीतियों का होता है।' राजन ने कहा है कि वह भारतीय रिजर्व बैंक के प्रमुख के पद पर अपने तीन साल के वर्तमान कार्यकाल का विस्तार नहीं चाहते...
More »विसंगति से संकट विश्वास का- अनिल रघुराज
जब इनसान नर्वस होता है, तो उसकी घिग्घी बंध जाती है. लेकिन सरकार जब नर्वस होती है, तो कुछ ज्यादा ही वाचाल हो जाती है. मोदी सरकार का फिलहाल यही हाल है. कार्यकाल के तीन साल बाकी हैं. लेकिन दो साल पूरा करने पर ऐसा डंका बजाया जा रहा है, मानो यज्ञ की पूर्णाहुति होनेवाली हो. हर सरकारी वेबसाइट खोलते ही विज्ञापन आ जाता है- मेरा देश बदल रहा है,...
More »देश में महिलाओं को अपना अभिभावक मानने वाले परिवार कितने हैं ?
अगर आयकर चुकाना आर्थिक बेहतरी का संकेत हो तो फिर अच्छी खबर यह है कि देश के ग्रामीण इलाके में महिलाओं की प्रधानी वाले तकरीबन 4 प्रतिशत परिवार सालाना आयकर चुकाते हैं. लेकिन इस खबर के आधार पर कोई भी राय बनाने से पहले तनिक रुककर नीचे लिखे तथ्यों पर एक नजर डालिए क्योंकि सिक्के का दूसरा पहलू भी है. जैसा कि सामाजिक-आर्थिक एवं जाति जनगणना(एसईसीसी 2011) के तथ्यों से जाहिर है...
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