पिछले वर्ष जब वित्त मंत्री अरुण जेटली अपने पहले पूर्ण बजट पर बोलने के लिए खड़े हुए थे, तब अनेक लोग यह उम्मीद कर रहे थे कि वह कोई ऐसा नीतिगत दस्तावेज पेश करेंगे, जिससे मोदी सरकार के वायदों को पूरा करने की ठोस जमीन तैयार हो। इस बार जब वह बजट पेश करेंगे, तो अपेक्षाएं अचानक बहुत बदल गई हैं। राष्ट्र अब कुछ प्रमुख मुद्दों पर विश्वसनीय समाधान की...
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मौजूदा विकास मॉडल में गांवों की जगह- मुकुल श्रीवास्तव
खुली अर्थव्यवस्था, खर्च करने के लिए तैयार विशाल आबादी और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था-ये सारी चीजें एक ऐसे भारत का निर्माण कर रही हैं, जहां व्यापार करने की अपार संभावनाएं हैं। इसके बावजूद आंकड़ों में अभी भारत बहुराष्ट्रीय कंपनियों के व्यापार के लिए आदर्श देश नहीं बन पाया है। मॉर्गन स्टेनली की ताजा रिपोर्ट में कहा गया कि भारत के शहर अब भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव से जूझ रहे...
More »'तीन से पांच साल तक सस्ता रहेगा कच्चा तेल'
नई दिल्ली। कच्चे तेल के अगले तीन से पांच सालों में सस्ता बने रहने की उम्मीद है। इससे कच्चा तेल आयात करने वाली भारत जैसी अर्थव्यवस्थाओं को फायदा होगा। दुनिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स के मालिक व रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुखिया मुकेश अंबानी ने यह बात कही। उनके मुताबिक, यह दुनिया में पहली बार हो रहा है कि ज्यादा आपूर्ति के कारण क्रूड कीमतें कम बनी हुई हैं। एक चैनल...
More »महिलाओं के मुंह अंधेरे उठकर जाने की मजबूरी कब तलक - मनीषा सिंह
छत्तीसगढ़ में एक संक्षिप्त कार्यक्रम पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 104 साल की एक बुजुर्ग महिला कुंवर बाई का सम्मान करके एक बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। कुंवर बाई ने अपनी आठ बकरियां बेचकर अपने घर में शौचालय बनवाया था और गांव को स्वच्छता के बारे में जागरूक किया था। असल में गांव-देहात में महिलाओं के लिए शौचालय एक बड़ा मुद्दा है, लेकिन जागरूकता के तमाम प्रयासों...
More »देशप्रेम और देशद्रोह के बीच बजट-- पुष्पेश पंत
किसी भी सरकार के लिए बजट बनाना अौर उसे पास कराना एक बड़ी चुनौती होती है. यदि यह वित्तीय विधेयक पास नहीं होता, तो इसे सदन के विश्वास का अभाव समझा जाता है अौर सरकार गिर सकती है. अगर बजट पास भी हो जाये अौर उसके प्रावधानों से जनता में असंतोष फैलता है, तब भी किसी सरकार के लिए अपने जनाधार को बरकरार रखना कठिन होता जाता है. हर नयी...
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