खैर नहीं - गैर संजीदा डेवलपर्स के प्रति सरकार सख्त रुख में बदलाव सेज के विकास को गंभीरता से न लेने वाले डेवलपर्स को अब ज्यादा समय देने के मूड में नहीं है वाणिज्य मंत्रालय क्या होना है कई डेवलपर्स ने 6-7 साल में भी विकास के नाम पर कुछ नहीं किया है, सरकार ऐसे गैर गंभीर सेज की मंजूरी को कर सकती है निरस्त ऐसे...
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न्याय का नखलिस्तान- रुचिरा गुप्ता
जनसत्ता 18 सितंबर, 2013 : भारत में अगर किसी का पुलिस या न्यायपालिका से कभी पाला पड़ा हो, तो वह अच्छी तरह से जानता होगा कि यह अनुभव कितना क्षोभ और आक्रोश से भर देने वाला होता है। भारतीय न्यायपालिका और पुलिस तंत्र में कई तरह की खामियां हैं। उनमें से कुछ को रेखांकित किया जा सकता है। मसलन, पुलिस अधिकारियों के बीच जवाबदेही का अभाव, खासतौर से महिलाओं और दलितों...
More »कहां खो गई गन्ने की मिठास- वी एम सिंह
सभ्य समाज पर मुजफ्फरनगर दंगा एक धब्बा है, जिसमें करीब 44 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। यह राजनीतिक पार्टियों का वोट बैंक एजेंडा तो हो सकता है, परंतु इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों के आपसी भाईचारे को गहरा धक्का लगा है। इस दंगे की लपट में आने से हजारों किसानों को गांवों से पलायन करना पड़ा है। कवाल गांव की घटना तो एक नमूना भर है। प्रदेश...
More »भ्रष्टाचार का भयावह मंजर- ज्ञान प्रकाश पिलानिया
जनसत्ता 17 सितंबर, 2013 : हाल ही में ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल की ‘वैश्विक भ्रष्टाचार: बैरोमीटर-2013’ रिपोर्ट में एक बार फिर यह उजागर हुआ है कि भारत में भ्रष्टाचार दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले दुगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है। विश्व के सत्ताईस फीसद लोगों ने कहा कि उन्होंने पिछले साल भर के दौरान रिश्वत देकर काम कराया है। लेकिन अकेले भारत में यह आंकड़ा चौवन फीसद रहा। यानी हर दो में...
More »आरटीआइ से पंचायतें मांगें अधिकार
मित्रो, आप पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधि हैं. जनता ने आपको इसलिए चुना कि आप पंचायत, प्रखंड और जिला स्तर पर उनकी बुनियादी समस्याओं को दूर करने के लिए योजनाएं बनाएं, उनका कार्यान्वयन करें और उन पर नियंत्रण रखें. संविधान के 73वें संशोधन ने आपको वही ताकत दी है, जो अपने क्षेत्र में विधायकों और सांसदों को मिला हुआ है. निचले स्तर पर आप पंचायत सरकार हैं. पंचायत सरकारें सत्ता के लोकतांत्रिक ढांचे की...
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