हालांकि केंद्र सरकार ने मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाले मजदूरी को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ने की बात मान ली है, फिर भी वह इस मामले में संविधानप्रदत्त न्यूनतम मजदूरी देने में संकोच कर रही है जबकि देश के कई सूबों में अब भी मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाली मजदूरी न्यूतम मजदूरी से कम है। सरकार का तर्क है कि न्यूनतम मजदूरी दी गई तो बढ़ा हुआ वित्तीय...
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किसानों को मुआवजे में सिर्फ आश्वासन
भोपाल. प्रदेश में कर्ज से हारे 14 किसान जिंदगी गंवा चुके हैं,वहीं सरकार उनके मुआवजे के नाम पर वाहवाही लूटने में लगी है। नेता आश्वासन देकर भूल गए हैं। मौत का हाथ थामने वाले किसानों के परिवार लाचार और बेबस हैं। महीनाभर गुजर गया,लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। भास्कर ने जानी कुछ ऐसे ही परिवारों की हकीकत.. भाई की तेरहवीं के लिए भी उधार कीटनाशक पीकर आत्महत्या करने वाले नंदकिशोर यादव की...
More »केंद्र और राज्य सरकार की लड़ाई में पिस रहा गरीब
भोपाल. केंद्र और राज्य सरकार लड़ाई में गरीब पिस रहे हैं। केंद्र के गोदाम अनाज से भरे पड़े हैं, लेकिन गरीबों के लिए अनाज नहीं है,जबकि सुप्रीमकोर्ट दो साल पहले की कह चुका है कि प्रत्येक बीपीएल परिवार को 35 किलो अनाज हरहाल में मुहैया कराया जाना है। लेकिन गरीबों को बमुश्किल 23 किलो अनाज ही मिल पा रहा है। वहीं राज्य सरकार की लेतलतीफी यह कि सुप्रीमकोर्ट के आदेश का...
More »किसानों की हत्या पर मुहर--- देविंदर शर्मा
जीएम फसलें एक बार फिर चर्चा में है. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने अपनी पूर्ववर्ती नीति से पलटी मारकर अब सार्वजनिक रूप से जीएम फसलों को समर्थन देना शुरू कर दिया है. बहस गरमा रही है. यह उसी लाइन पर जा रही है, जिस पर शरद पवार जोर दे रहे है. इसमें हैरत की बात नहीं है. मैं देर-सबेर इसकी उम्मीद कर रहा था. आखिरकार, विकिलीक्स पहले ही खुलासा कर चुका है...
More »राष्ट्रद्रोह, राजद्रोह और जनविद्रोह -- कनक तिवारी
विनायक सेन के मामले में चुप रहना उचित नहीं होगा. मैं ज़मानत आवेदन के सिलसिले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में उनका वकील रह चुका हूं. इसलिए मुझे अच्छी तरह मालूम है कि उस स्थिति में विनायक सेन के विरुद्ध पुलिस की केस डायरी में ऐसा कुछ नहीं था कि प्रथम दृष्टि में मामला भी बनता. यह अलग बात है कि हाईकोर्ट ने उनकी ज़मानत मंजूर नहीं की जो बाद में लगभग...
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