जातिगत जनगणना के आंकड़ों की आड़ में हो रही राजनीति के बीच केंद्रीय वित्तमंत्री ने यह स्पष्ट करके अच्छा किया कि राज्यों को ये आंकड़े पहले ही भेजे जा चुके हैं और वे जातियों-उपजातियों, गोत्रों आदि के असमंजस को दूर कर दें तो फिर तर्कसंगत वर्गीकरण का काम शुरू हो। यह काम 'नीति आयोग" की एक समिति करेगी और फिर जातिवार आंकड़ों को देश के सामने लाया जाएगा। 2011 की जनगणना...
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गांव और गरीब की चिंता कब?- अश्विनी महाजन
भारत सरकार द्वारा वर्ष 2011 में हुई जनगणना के आर्थिक, सामाजिक गणना के आंकड़े हाल ही में प्रकाशित किये गये हैं. ये आंकड़े भारत में गरीबों की वर्तमान दुर्दशा की कहानी बयान कर रहे हैं. चिंता का विषय केवल यह नहीं है कि गरीबों की हालत खराब है, बल्कि वह पहले से तेज गति से बदतर होती जा रही है. गौरतलब है कि अभी ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ही ये...
More »हम जाति का ज़हर फिर क्यों पिएं?- वेद प्रताप वैदिक
मुझे आश्चर्य है कि भाजपा सरकार के मंत्रिमंडल ने ऐसा राष्ट्र-विरोधी निर्णय कैसे कर लिया? जातीय जनगणना को कांग्रेस सरकार ने अधबीच में बंद कर दिया था, लेकिन इस गणना के जो भी अधकचरे आंकड़े इकट्ठे हुए हैं, सरकार उन्हें प्रकट करने के लिए तैयार हो गई है। वह इन्हें अगले साल तक प्रकाशित करेगी। तब तक राज्य-सरकारों की रपट भी उसके पास आ जाएगी और जो आंकड़े उसके पास...
More »जातियों की गिनती जारी करेगी मोदी सरकार!
राजनीतिक विवादों के बीच केंद्र सरकार जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी करने को राजी हो गई है। मगर आंकड़े सार्वजनिक होने की समय सीमा को लेकर संशय अब भी बरकरार है। इस मामले पर सरकार ने स्पष्ट कहा है कि राज्यों से रिपोर्ट आने के बाद ही इसे एकत्रित कर सार्वजनिक किया जाएगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि उन्हें राज्यों से आने वाली रिपोर्ट का इंतजार है। केंद्र सरकार...
More »खुले में शौच: तादाद में चालीस करोड़ की कमी लेकिन पड़ोसियों से पीछे
बीते पच्चीस सालों में खुले में शौच करने वाले लोगों की संख्या कम करने की रफ्तार के लिहाज से भारत पड़ोसी नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान से पीछे है. यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में 1990 से 2015 के बीच खुले में शौच करने वालों की संख्या में 31 फीसदी की कमी हुई है जबकि पड़ोसी नेपाल में (56 प्रतिशत), पाकिस्तान(36 प्रतिशत), बांग्लादेश(33 प्रतिशत) में यह रफ्तार...
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