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बजट में दीर्घकालिक विकास के लिए रणनीति नहीं दिखाई देती- एम के वेणु

नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट न्यू इंडिया में कतार के आखिरी व्यक्ति के सशक्तीकरण की बातें तो खूब करता है, लेकिन यह इस सवाल का कोई जवाब नहीं देता है कि आखिर निवेश और उपभोग के दोहरे इंजन से चलने वाली विकास की गाड़ी में धक्का में लगाए बिना एक पूरी तरह वित्त पोषित कल्याणकारी राज्य को कैसे चलाया जाएगा? वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बातें...

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बजट 2019: पिछले साल की तुलना में इस साल गंगा सफाई के बजट में 1500 करोड़ की कटौती

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने 2019-20 के बजट में गंगा सफाई योजना के लिए आवंटित की जाने वाली राशि में कटौती कर दी है. द हिंदू के अनुसार, राष्ट्रीय गंगा परियोजना एवं घाट निर्माण कार्य के लिए सरकार ने 2019-20 के बजट में 750 करोड़ रुपये का आवंटन किया है. वहीं, पिछले साल के बजट में इसके लिए 2250 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था. साल 2018-19 के लिए संशोधित अनुमान...

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देश का कोई भी राज्य कचरा प्रबंधन नियमों का पालन नहीं कर रहा: एनजीटी

नई दिल्ली: देश का कोई भी राज्य, स्थानीय निकायों के स्तर पर ठोस कचरा, प्लास्टिक कचरा, मेडिकल कचरा और निर्माण कार्यों के कचरे के निस्तारण से संबंधित कचरा प्रबंधन नियम 2016 का पालन नहीं कर पा रहा है. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने देश के सभी राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों में कचरा प्रबंधन के उपायों की समीक्षा के आधार पर यह चौंकाने वाली टिप्पणी करते हुए सभी राज्यों से छह...

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बेरोजगारी दर कैसे 6.1 प्रतिशत से भी ज्यादा हो सकती है, पढ़िए इस न्यूज एलर्ट में

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी श्रमबल सर्वेक्षण के नये आंकड़ों में बेरोजगारी दर के साल 2017-18 में 6.1 प्रतिशत होने की बात कही गई है लेकिन मंत्रालय के आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित एक शोध-आलेख में आशंका जतायी गई है कि बेरोजगारी की मार झेल रहे लोगों की वास्तविक संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है.(आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण की मूल रिपोर्ट के लिए इस लिंक पर क्लिक करें)   ‘सर्जिकल स्ट्राइक ऑन एम्पलॉयमेंट: द रिकार्ड ऑफ द फर्स्ट...

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चुनाव चर्चा से नदारद पुलिस सुधार- विभूति नारायण राय

आगामी आम चुनाव को लेकर सभी प्रमुख दलों ने अपने-अपने घोषणापत्र जारी कर दिए हैं और इन सभी में एक समान अनुपस्थिति आपका ध्यान आकर्षित कर सकती है। किसी भी दल ने पुलिस सुधारों पर एक भी पंक्ति लिखने की जरूरत नहीं समझी। पहले की ही तरह इस बार भी किसी को यह जरूरी नहीं लगा कि जिस संस्था से जनता का रोजमर्रा की जिंदगी में सबसे ज्यादा वास्ता पड़ता...

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