जनसत्ता 2 नवंबर, 2012: नवउदारवाद के लगभग चौथाई सदी के अनुभवों के बाद मुख्यधारा के राजनीतिक अर्थशास्त्र को बुद्ध के अभिनिष्क्रमण के ठीक पहले ‘दुख है’ के अभिज्ञान की तरह अब यह पता चला है कि दुनिया में ‘गैर-बराबरी है’, और इससे निपटे बिना मुक्ति, यानी आर्थिक-संकटों की लहरों में डूबने से बचने का रास्ता नहीं है। ‘द इकोनॉमिस्ट’ पत्रिका के ताजा अंक (13-19 अक्तूबर) में विश्व अर्थव्यवस्था के बारे में उन्नीस...
More »SEARCH RESULT
शौचालय नहीं तो दुल्हन नहीं: रमेश
कोटा, 21 अक्तूबर (एजेंसी) जयराम रमेश ने महिलाओं से उन परिवारों में शादी करने से इनकार करने की अपील की जहां शौचालय नहीं हैं। देश में शौचालय से अधिक मंदिर होने का बयान देकर विवाद खड़े करने के कुछ ही दिन बाद आज केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने महिलाओं से उन परिवारों में शादी करने से इनकार करने की अपील की जहां शौचालय नहीं हैं। यहां खजूरी गांव में स्थानीय लोगों...
More »भूमिहीनों को मिले भूमि का अधिकार
देश के आदिवासियों की जमीनों पर कब्जे हैं। जिन किसानों के पास जमीनें हैं, उनसे विकास के नाम पर जमीनों को छीना जा रहा है। वहीं जिन लोगों के पास रहने के लिए घर नहीं है, उनको घर बसाने के लिए जमीन नहीं दी जा रही है। एकता परिषद व सहयोगी संगठनों द्वारा समग्र भूमि सुधार तथा वंचितों को हक दिलाने के लिए जनसत्याग्रह 2012 आंदोलन चलाया जा रहा है।...
More »गंगा के गुनहगार- स्वामी आनंदस्वरुप
जनसत्ता 12 जुलाई, 2012: गंगा का नाम लेने मात्र से पवित्रता का बोध होता है। यह देश की एकता और अखंडता का माध्यम और भारत की जीवन रेखा के अतिरिक्त और बहुत कुछ है। गंगा जीवनदायिनी और मोक्षदायिनी दोनों है। आज भी लगभग तीस करोड़ लोगों की जीविका का माध्यम है। मगर पिछली डेढ़ सदी से गंगा पर हमले पर हमले किए जा रहे हैं और हमें जरा भी अपराध-बोध नहीं...
More »'आईस्क्रीम खरीद सकते हैं, आटे-चावल में एक रुपए की वृद्धि बर्दाश्त नहीं'
गृह मंत्री पी चिदंबरम एक बार फिर विवादित बयान देकर चर्चा में आ गए हैं. उन्होंने कहा है कि ‘भारत के मध्यम वर्ग के लोग महंगी आइस क्रीम खाते हैं, 15 रुपए की मिनरल वॉटर की बोतल खरीदते हैं, पर गेहूं-चावल के दामों में एक रुपए की वृद्धि बर्दाश्त नहीं करते.' चिदंबरम मंगलवार को बंगलौर में एक पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे जब उन्होंने ये बयान दिया. उनके इस बयान...
More »