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रोजगार बढ़ाने की बड़ी चुनौती-- भरत झुनझुनवाला

आगामी बजट में रोजगार सृजन को प्रोत्साहन देने पर विचार हो रहा है। जिन उद्योगों द्वारा नए रोजगार सृजित किए जाएंगे, उन्हें आयकर में छूट दी जाएगी। यह खुशी की बात है। फिर भी सावधानी बरतने की जरूरत है अन्यथा रोजगार उत्पन्न् नहीं होंगे और उद्यमियों द्वारा इनकम टैक्स की छूट का दुरुपयोग कर लिया जाएगा। मान लीजिए एक उद्योग है जिसमें 1000 श्रमिक कार्यरत हैं। उद्योग द्वारा 10 करोड़...

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आज के समय में इन आवाजों को भी सुनें

बीसवीं सदी के अंतिम दशक से भारत में जो विकासराग आरंभ हुआ, उसकी कुछ अस्फुट ध्वनियां राजीव गांधी के कार्यकाल में 1986 से सुनी जा सकती हैं. अंतिम दशक में जो विकास-दृष्टि, नीति बनी, वह 25 वर्ष में कहीं अधिक शक्तिशाली हो चुकी है. इस राग ने सभी रागों को सुला दिया है. आकर्षक, लुभावने मुहावरों और शब्दजाल का जो सिलसिला डेढ़ वर्ष से जारी है, उसने हमारी चिंतन-प्रक्रिया को...

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'कार' बनाम 'बस' का सवाल - सुषमा रामचंद्रन

देश की राजधानी में हाल ही में हुए ऑटो एक्स्पो में जिस तरह से आकर्षक कारों के नए-नए मॉडल लॉन्च हुए, उन्हें देखकर किसी को भी यह गलतफहमी हो सकती थी कि भारत चौड़ी व चमचमाती सड़कों-राजमार्गों का देश है, जहां पर ट्रैफिक की कोई दिक्कत ही नहीं है और जहां गाड़ी चलाना एक सुखद संतोष का विषय है। जबकि हकीकत इससे ठीक उलट है। वास्तव में भारत में सड़कों के...

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कब कमर कसेगी सरकार-- शंकर अय्यर

आप इसे बजट राग कह सकते हैं, जो पैसे के मूल मंत्र पर केंद्रित है। बजट के मौसम में सरकारी विचार कक्ष में पैसे के बारे में काफी चर्चा होती है। इस बार भी चर्चा हो रही है कि सरकार को राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करना चाहिए या उसकी चिंता छोड़ देनी चाहिए। चर्चा इस पर भी है कि किसे दर्द सहना चाहिए और किसे फायदा होगा। विकास का सिद्धांत...

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कमाई के कंगूरे और गरीबी का गर्त- धर्मेन्द्र पाल सिंह

स्विट्जरलैंड के बर्फीले नगर दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक की पूर्व संध्या पर ब्रिटेन की संस्था ऑक्सफाम ने एक रिपोर्ट जारी की, जिससे पूरी दुनिया में हंगामा मच गया। ‘एन इकोनॉमी फॉर दी 1%' नामक इस रिपोर्ट में बताया गया है कि आज महज बासठ खरबपतियों की संपत्ति 17.6 खरब डॉलर (1187.64 खरब रुपए) है, जो विश्व की आधी आबादी की दौलत के बराबर है। एक प्रतिशत अमीरों...

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