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कहीं बैंकों से भरोसा ना उठ जाय-- बिभाष कुमार श्रीवास्तव

अमेरिका में आए 2008 के वित्तीय भूचाल से पूरी दुनिया में अफरा-तफरी मच गई थी। बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को सरकार ने बेल-आउट पैकेज के माध्यम से उबारा। बेल-आउट का जबर्दस्त विरोध किया गया। लोगों ने कहा कि ‘करदाताओं' के पैसे से किसी विफल होती संस्था को उबारना नैतिक खतरे (मोरल हजार्ड) पैदा करता है। तब वित्तीय मामलों के जानकारों की तरफ से ‘बेल-इन' की नई अवधारणा पेश की गई।...

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महिला उद्यमियों की राह में पुरुषवादी नजरिये की बाधा

वुमेन फस्र्ट, प्रॉस्पेरिटी फॉर ऑल' विषय पर हैदराबाद में होने वाले आठवें ग्लोबल इंटरप्रिन्योरशिप सम्मेलन से ठीक पहले ‘कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी' की एक रिपोर्ट में महिला उद्यमियों की वैश्विक स्तर पर स्थिति की विस्तार से चर्चा दिखती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि ‘महिलाओं के साथ बिल्कुल अलग ही तरह का बर्ताव होता है। पुरुष निवेशक उनके प्रोजेक्ट में बहुत कम रुचि दिखाते हैं।' इस मामले में वैश्विक...

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एमपी: कैग की रिपोर्ट, साढ़े 14 लाख बच्चों ने बीच में ही छोड़ दी पढ़ाई

भोपाल। शैक्षणिक सत्र 2010 से 2016 के दौरान प्रदेश में 14 लाख 34 हजार बच्चों ने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी। ये खुलासा भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में हुआ है। इस मामले में मप्र देश के औसत से भी नीचे चला गया है। जबकि छत्तीसगढ़ और गुजरात की स्थिति प्रदेश से बेहतर है। ये रिपोर्ट गुरुवार को विधानसभा में प्रस्तुत की गई। प्रधान महालेखाकार सामान्य एवं सामाजिक क्षेत्र...

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खाद्य प्रसंस्करण के विकास पर हो जोर - डॉ. जयंतीलाल भंडारी

पिछले दिनों दो ऐसी रिपोर्ट्स आईं, जिन पर ज्यादा लोगों का ध्यान नहीं गया, लेकिन यदि इन रिपोर्ट्स में कही बातों पर वास्तव में गंभीरतापूर्वक काम किया जाए तो हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था के साथ-साथ रोजगार के परिदृश्य में भी व्यापक सुधार नजर आ सकता है। बीते 21 नवंबर को उद्योग मंडल एसोचैम और शिकागो की विश्व प्रसिद्ध एकाउंटिंग फर्म ग्रांट थॉर्टन द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट में कहा...

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शेल कंपनी कथा दूसरी कड़ी : काले धन के खिलाफ जंग राजधर्म है-- हरिवंश

राजनीति विचारधारा या भावना से चलती है और अर्थनीति शुद्ध स्वार्थ की नीितयों से. पिछले 60-70 वर्षों में एक तरफ राजनीति में भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक जंग की बात भारत में बार-बार हुई, तो दूसरी तरफ भ्रष्ट ताकतों ने आर्थिक नियमों, कंपनी कानूनों को ऐसा बनाया कि भ्रष्टाचार की जड़ें लगातार मजबूत होती गयीं. शेल कंपनियां ऐसे ही कंपनी कानूनों की उपज हैं, पर आश्चर्य यह है कि 60-70 वर्षों...

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