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स्कूली शिक्षा में भेदभाव की विषबेल-- प्रियंका कानूनगो

भारत की वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में कई प्रकार से शैक्षिक भेदभाव व्याप्त है, खासतौर पर स्कूली शिक्षा में इसकी जड़ें बहुत गहरे जम चुकी हैं। इस विषबेल को खाद, पानी, पोषण देने वाला ताकतवर समूह शिक्षा का बाजारीकरण कर उस बाजार का नियंत्रक बना बैठा है, जो कि संगठित माफिया की तरह कार्यरत है। वह न केवल नियमों को तोड़ता है बल्कि मनमाफिक नियम निर्धारण में भी पर्याप्त सक्षम है।...

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किसानी का तीर्थ बनता तिउसा गांव --- बाबा मायाराम

महाराष्ट्र का एक गांव है तिउसा। यवतमाल से सोलह किलोमीटर दूर। यह गांव किसानों के लिए तीर्थ बन गया है। तीर्थ जहां कुछ अच्छाई है, किसान जहां अपना भविष्य देख रहे हैं। यहां बड़ी संख्या में किसान आ रहे हैं। खेती-किसानी की बारीकियां सीख रहे हैं। यहां के प्रयोगधर्मी किसान सुभाष शर्मा कई मायने में अनूठी खेती कर रहे हैं, जिसे वे सजीव खेती कहते हैं।     हाल ही मैं अपने कुछ...

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बलरामपुर कलेक्टर ने सरकारी स्कूल में कराया अपनी बेटी का दाखिला

अंबिकापुर/बलरामपुर। निजी स्कूलों की शिक्षा को महत्वपूर्ण मानने वाले अधिकारियों-जनप्रतिनिधियों के साथ आम नागरिकों को यह खबर सोचने पर मजबूर कर सकती है। शिक्षा के मामले में संवेदनशील माने जाने वाले बलरामपुर कलेक्टर अवनीश शरण ने अपनी पांच वर्षीया सुपुत्री बेबिका का दाखिला बलरामपुर जिला मुख्यालय में स्थित शासकीय प्राथमिक शाला में कराया है। शिक्षा गुणवत्ता को लेकर पूरे प्रदेश में कवायद चल रही है। इसके चलते अधिकांश सरकारी स्कूलों की...

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भारतीय समाज के नए यथार्थ-- ज्योति सिडाना

वर्ष 2016 में सेंटर फॉर द स्टडी आॅफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) ने कोनराड एडेन्यूर स्टीफटुंग (केएएस) के साथ मिल कर ‘भारत में युवाओं की अभिवृत्ति' विषय पर एक अध्ययन किया। इस सर्वे में पंद्रह से चौंतीस वर्ष के भारतीय युवाओं (देश में युवा आबादी करीब पैंसठ फीसद है) से अनेक सवाल पूछे गए। आंकड़ों के अनुसार अस्सी फीसद युवा ज्यादा चिंतित या असुरक्षित महसूस करते हैं। उनमें चिंता के मुख्य...

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सरकारी स्कूलों में अंगरेजी -- मृणाल पांडे

उत्तराखंड की सरकार अपने सभी 13 जिलों के 18,000 प्राइमरी स्कूलों में शिक्षा का माध्यम हिंदी से बदल कर अंगरेजी करने जा रही है. तुरंत प्रभाव से यह प्रयोग पहले दर्जा एक से शुरू होगा और धीरे-धीरे इसे सभी कक्षाओं में लागू किया जायेगा. तर्क यह दिया गया है कि आज के भारत में दवा के नुस्खों से लेकर अदालती व वित्तीय कामकाज तक समझना अंगरेजी न जाननेवालों के लिए...

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