भोपाल. अगर आप सोच रहे हैं कि पानी की बर्बादी को रोककर आप जल संरक्षण में पूरा योगदान दे रहे हैं तो आप गलत हैं। जरा इन आंकड़ों पर नजर डालिए- ब्रैड की एक स्लाइस के उत्पादन में 40 लीटर पानी खर्च होता है, एक कप कॉफी के बनने में 140 लीटर पानी लग जाता है। इसी तरह आप जो जींस पहनते हैं वह 2800 लीटर पानी खर्च कर बनती...
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अब सुल्तानपुरी केले की मचेगी धूम
सुल्तानपुर। केले का नाम आते ही महाराष्ट्र के भुसावल जिले का नाम बरबस सामने आ जाता है। अब सुल्तानपुर इससे होड़ लेने की तैयारी कर रहा है। इस जिले को केला उत्पादक क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाना है। कृषि विविधिकरण व उद्यानीकरण योजना के तहत करीब 225 एकड़ जमीन में केले के पौधरोपण को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इस योजना से तकरीबन 400 किसान लाभान्वित होंगे।...
More »हरित क्रांति का जनक
आज हमारे अन्न भंडार भरे हुए हैं। देश ने पिछले साल रेकॉर्ड 73.5 मिलियन टन गेहूं पैदा किया है। अमेरिकी कृषि वैज्ञानिक नॉर्मन ई. बोरलॉग नहीं रहे, पर इसका बहुत कुछ श्रेय उन्हें भी जाता है। भारत और पाकिस्तान समेत कई और विकासशील देशों को अनाज उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में उनके द्वारा शुरू किए गए कृषि नवाचारों का योगदान रहा है। साठ के दशक में जब तत्कालीन...
More »पर्यावरण की राजनीति और धरती का संकट
खुद मनुष्य ने अपनी भावी पीढ़ियों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया है। दुनिया भर में चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं। सवाल ल्कुल साफ है- क्या हम खुद और अपनी आगे की पीढ़ियों को बिगड़ते पर्यावरण के असर से बचा सकते हैं? और जवाब भी उतना ही स्पष्ट- अगर हम अब भी नहीं संभले तो शायद बहुत देर हो जाएगी। चुनौती हर रोज ज्यादा बड़ी होती...
More »कोसी का कहर
कोसी का कहर अगस्त 2008 में बिहार के एक बड़े इलाके पर टूट पड़ा। कोसी को कभी बिहार का शोक कहा जाता था। जब यह नदी पूर्णिया जिले में बहती थी तब एक कहावत बड़ी चर्चित थी कि ‘जहर खाओ, न माहुर खाओ, मरना है तो पूर्णिया जाओ।’ इस नदी का यह स्वभाव था कि वह अपना रास्ता बदलती रहती थी। यह कब अपना रुख बदल लेगी, इसका अंदाजा लगाना...
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