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शिक्षा अधिकार का सच- नरेश गोस्वामी

जनसत्ता 7 अगस्त, 2012: मानव संसाधन विकास मंत्रालय से संबद्ध संसदीय समिति की रिपोर्ट बताती है कि शिक्षा अधिकार के कार्यान्वयन के लिए स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग को बजट की निर्धारित राशि का केवल साठ फीसद दिया गया है। इसका मतलब यह है कि शिक्षा अधिकार योजना को इस साल पंद्रह हजार करोड़ रुपयों की कमी पडेÞगी। योजना की जरूरतों और बजटीय आबंटन के इस अंतर को देखते हुए संसदीय समिति ने...

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गया वो जमाना! अब च्यवनप्राश खाने से नहीं मिलेगी शक्ति

ग्वालियर। च्यवनप्राश की शक्तियां कमजोर पड़ती जा रही हैं। ऐसा च्यवनप्राश के निर्माण में प्रयोग होने वाली 54 औषधियों में से कई के विलुप्त होने की वजह से हो रहा है। नई दिल्ली स्थित केंद्रीय आयुर्वेद विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) ने देश के सभी 32 केंद्रीय आयुर्वेद रिसर्च सेंटरों के डायरेक्टर्स और आयुर्वेद कॉलेजों को पत्र लिखा है। इसमें उन्हें आगाह किया गया है कि अष्ट वर्ग (आठ औषधियों का समूह) की...

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धनी देशों की कमजोर इच्छाशक्ति से निराशा

रियो-डी जिनेरियोः भारत ने गुरुवार को कहा कि हरित अर्थव्यवस्था के उद्देश्यों के कार्यान्यवन के लिए विकासशील देशों को बढ़े साधन मुहैया कराने में विकसित देशों की कमजोर राजनीतिक इच्छाशक्ति से वह निराश है. यदि इस प्रक्रिया को लोकतांत्रिक तरीके से लागू नहीं किया गया, तो वह आंखों में धूल झोंकने के बराबर होगा. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित करीब 100 विश्व नेता यहां रियो+ 20 पर्यावरण शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे...

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कड़वे बादाम : दिल्ली के बादाम उद्योग में मज़दूरों का शोषण

  उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दूर-दराज़ कोने में बसी हुई, शोर-ग़ुल और चहल-पहल भरी करावलनगर की बस्ती, अनौपचारिक क्षेत्र के उद्यमों का एक उभरता हुआ केन्द्र है, जहाँ बड़ी संख्या में प्रवासी मज़दूर और उनके परिवारों को रोज़गार मिलता है। ये उद्यम किसी भी मानक से छोटे नहीं है। वैश्विक सम्‍बन्‍धों की जटिल श्रृंखला में बँधे ये उद्यम, सालभर चालू रहते हैं और हज़ारों मज़दूरों के रोज़गार का स्रोत हैं। कई करोड़...

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बुजुर्गों के लिए इज्जत की जिन्दगी -आईए, एक अभियान का हिस्सा बनें

बुजुर्गों की जीवन-संध्या पूरी गरिमा और बिना किसी अभाव के बीते- यह हर सभ्य समाज का नैतिक दायित्व है। बुजुर्गों के प्रति इसी दायित्व-भाव से पेंशन परिषद् दिल्ली में जन्तर-मन्तर पर अगामी 7 मई से 11 मई(2012) तक एक अभियान के तहत धरने का आयोजन कर रहा है। धरने के आयोजन के पीछे मकसद एकदम सरल और सहज है, और इस मकसद को पूरा करने का वक्त अब आ चुका है। आगे की पंक्तियों को...

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