अपने खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम को लेकर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से पंगा लेकर क्या मोदी सरकार कोई गलती करने जा रही है? क्या वह वैश्विक बिरादरी में अलग-थलग पड़ने को तैयार है? या सरकार क्या यह साबित करना चाहती है कि वह यूपीए की गलती को दुरुस्त कर रही है? बीते साल संसद में खाद्य सुरक्षा कानून को पास करा कर उसका सारा श्रेय कांग्रेस ने लिया था. अब कुछ...
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गरीबी हटाने की लंबी डगर - एन के सिंह(पूर्व सांसद और पूर्व केंद्रीय सचिव)
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पर संसद में हुई बहस का जवाब देते हुए इस सोच का खंडन किया है कि गरीब समर्थक और कारोबार समर्थक नीतियों में कोई फर्क होता है। उन्होंने पूरी विनम्रता से स्वीकार किया है कि उनका बजट गरीब समर्थक भी है और कारोबार समर्थक भी। यह बात लगभग उसी तरह की है, जैसे यह कहा जाए कि एक तरफ जगदीश भगवती और अरविंद पणगरिया...
More »प्रवासी श्रमिक : जो लौट के घर ना आए - रमेश नैयर
युद्ध में धंसे इराक से किसी प्रकार दो-एक सौ कामगारों को मुक्त कराके स्वदेश लाया जा सका है। उनके जीवन और मृत्यु के बीच झूलते रहे दिनों के अनुभव व्यथित करते हैं। वे 40 लाख से अधिक उन प्रवासी भारतीयों की ओर भी ध्यान आकृष्ट कराते हैं, जो मध्यपूर्व के देशों में काम कर रहे हैं। उनका वर्तमान आजीविका के जुगाड़ में खप रहा है। भविष्य असुरक्षा भरे अनिश्चय की...
More »समग्र स्वास्थ्य नीति के आधार- रितुप्रिया
जनसत्ता 17 जून, 2014 : दुनिया भर में स्वास्थ्य सेवाओं का संकट गहरा रहा है। पिछले डेढ़ सौ सालों में बनीं यूरोप और उत्तरी अमेरिका की सेवाएं उनके लिए भी अत्यधिक महंगी और एकांगी साबित हो रही हैं। मकिंजी कंपनी ने अनुमान लगाया था कि अगर स्वास्थ्य-सेवाओं पर खर्च ऐसे ही बढ़ता रहा तो 2100 में अमेरिका को अपनी सकल आय का सत्तानबे फीसद और यूरोप को साठ फीसद स्वास्थ्य...
More »नए प्रधानमंत्री से उम्मीदें- नीलांजन मुखोपाध्याय
उम्र में मेरे ताऊ जी के बेटे मुझसे कुछ साल बड़े हैं और अमेरिका में रहते हैं। छुट्टियों और पारिवारिक समारोहों के अलावा वह कभी यहां नहीं आते, क्योंकि वह अमेरिकी सपनों में जीने वाले व्यक्ति हैं। हम दोनों लगातार संपर्क में रहते हैं, बेशक कई मुद्दों पर हम एकमत नहीं हैं। कुछ दिनों पहले मेरे पास उनका एक ई-मेल आया। भारत के चुनावी नतीजे पर वह गद्गद थे। उन्होंने लिखा,...
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