लता सिंह, रायपुर(छत्तीसगढ़)। गांव में रहने वाली मीना ने छोटी उम्र और तमाम विपत्तियों के बावजूद वह कारनामा कर दिखाया, जो दूसरी लड़कियों की सोच से भी दूर है। साहित्य के प्रति ऐसी लगन कि दो किताबें लिख डाली। लेकिन विडंबना है कि उसे आर्थिक तंगी के चलते पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ गई। आरंग तहसील के ग्राम खुटेरी निवासी मीना जांगड़े पांच भाई और चार बहनों में आठवें नम्बर की...
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समस्याओं के शिखर, खाली होते पहाड़- अनिल प्रकाश जोशी
उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने के पीछे सोच यह थी कि यहां की भौगोलिक परिस्थितियां और दुर्गमता विकास के अलग रास्ते की मांग करते हैं। स्थानीय लोगों को यकीन था कि उनके हालात को समझने की क्षमता मैदानी नीतिकारों में नहीं है। केंद्र को झुकना पड़ा और राज्य की मांग पूरी हुई। लेकिन अब पलटकर देखें, तो इन 15 वर्षों में उत्तराखंड को आठ मुख्यमंत्रियों के अलावा शायद ही कोई...
More »हार्दिक का आंदोलन और गुजरात-- मिलिन्द मुरुगकर
गुजरात में हार्दिक पटेल का अचानक उदय कई मायनों में आश्चर्यजनक था. इसके आकलन के लिए कई सिद्धांत लगाये जा रहे हैं. अन्य राज्यों में भी अगर इस आंदोलन की प्रतिध्वनि उभर कर आती है, तो यह कुछ नये राजकीय समीकरणों की शुरुआत हो सकती है. अगर ऐसा न होकर यह बात गुजरात तक ही सीमित रहती है, तो भी इसके परिणाम राष्ट्रीय स्तर पर दिखेंगे. औद्योगीकरण में अगड़े...
More »डूब जाते हैं बनैनिया जैसे समृद्ध गांव और राजनीति उफ तक नहीं करती
महज पांच साल पहले कोसी नदी के किनारे एक खूबसूरत और समृद्ध गांव था बनैनिया. मिथिलांचल और कोसी के इलाकों को जोड़ने के लिए जब महासेतु बना, तो बनैनिया डूब गया. थोड़ी-सी प्रशासनिक सजगता इस गांव को बचा सकती थी. गुणानंद ठाकुर जैसे सांसद और मायानंद मिश्र जैसे बड़े साहित्यकार का यह गांव अब कोसी की धारा में समा गया है. गांव के लोग 22 अलग-अलग गांवों में रहते हैं....
More »किसके सपने-- मुज्तबा मन्नान
हाल ही में मुझे प्राथमिक शिक्षा से जुड़े एक सर्वेक्षण के दौरान राजस्थान के राजसमंद जिले के एक स्कूल में पांचवीं और छठी कक्षा के बच्चों से बातचीत करने का मौका मिला। कक्षा में पहुंचते ही असमंजस में पड़ गया कि बच्चों से बातचीत की शुरुआत कहां से करूं, पाठ्यपुस्तकों से या किसी और विषय से! दरअसल, इससे पहले मेरा बच्चों को पढ़ाने से संबंधित कोई अनुभव नहीं रहा था।...
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